परमार्थ निकेतन में हुआ कवि सम्मेलन का आयोजन
ऋषिकेश
राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्र व्यापी कवियों ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को उनके जन्मदिवस पर अपनी कविताओं के माध्यम से शुभकामनायें समर्पित की। भारत के विभिन्न राज्यों से आये युवा कवियों के प्रतिष्ठित मंच ने आज श्रीराम कथा और परमार्थ निकेतन, गंगा आरती में कविताओं के माध्यम से अपने भाव को पूज्य स्वामी जी के श्रीचरणों में समर्पित किये।
आज इस मंच से गाई कविताओं ने सभी के दिलों को छू लिया। इस मंच से प्रवाहित हो रही कविताओं में वह प्राणतत्व है जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। राष्ट्रकवि श्री हरिओम पवांर जी ने अपनी ओजस्वी कविता ‘‘मैं भी गीत सुना सकता हूँ शबनम के अभिनन्दन के‘‘ यह सुनाते हुये आज के कवि सम्मेलन का शंखनाद किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि एक कवि हृदय ही पृथ्वी की व्यथा को अत्यंत मार्मिक ढ़ंग से व्यक्त कर सकता है और राष्ट्र के मर्म को समझ सकता है तथा भारत को भारत की दृष्टि से देख सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि यह समय ऐसी कवितायें लिखने का है जिससे धरा, नदियां और हमारा पर्यावरण भी गुदगुदायें और खिलखिलाने लगे। हमारी कवितायें जागरण, प्रेरणा और युवाआंे को दिशा देने का कार्य करें। अब भारत में पर्यावरण हितैषी हरित काव्य पाठ की शुरूआत करने की जरूरत है ताकि इन मुद्दों पर जनमानस की सोच बदले क्योंकि सोच एक बीज है, सोच बदलती है तो सृष्टि बदलती है। सोच बदलती है तो दिल बदलते हैं और दिल बदलते हैं तो न केवल हमारे भीतर की बल्कि बाहर की दुनिया भी बदलती है। हमारे कर्म बदलते हैं और इससे किसी का दिल बदलता है तो किसी का दिन बदलता है और किसी का पूरा जीवन ही बदल जाता है। हमारी सोच ही कर्मो को प्रेरित और परिवर्तित करती है इसलिये आईये कविताओं के माध्यम से युवा पीढ़ी में नये विचारों का संचार करने का संकल्प ले। उन्होंने श्री जगदीश परमार्थी जी और श्री हरिओम पवांर जी को इस दिव्य काव्यपाठ परम्परा को जीवंत व जागृत बनाये रखने हेतु साधुवाद देते हुये कहा कि बड़ी प्रसन्नता हो रही है कि इस बार पूरे देश से हमारे युवा व उभरते कवि आज परमार्थ गंगा तट पर काव्यपाठ करने के लिये आये हैं।
संत श्री मुरलीधर जी ने कहा कि कविताओं में वीर रस, हस्य रस और करूणा रस की प्रधानता हो वहीं कवितायें जीवन को प्रेरणा प्रदान करती हैं।
ओजकवि श्री हरिओम पवांर जी ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मैं पूज्य स्वामी जी के जन्मदिवस के अवसर पर इस मानस ज्ञान गंगा के दिव्य मंच पर खड़ा हूँ जहां पर खड़ा होना हर कोई चाहता है। मैं उन भाग्यशाली लोगों में से एक हूँ जिन्हें माँ गंगा के तट पर ऋषिचरणों का सान्निध्य प्राप्त हुआ।
उन्होंने कहा कि श्री राम कथा हमारी आत्मा है, हमारी आत्मा का सार है। हमें अपनी मान्यताओं, परम्पराओं, कथाओं का श्रवण करने के लिये अपने बच्चों को तैयार करना होगा। अगर हमें हमारी संवेदनायें, परम्परायें, संस्कृति व मर्यादायें बचानी हैं तो संस्कार देने की परम्परा अपने घर से शुरू करनी होगी। अपने बच्चों को मानसिक व वैचारिक प्रदूषण से बचाने के लिये कथाओं को सुनने-सुनाने की आदत डालना होगा। अगर हम अपने बच्चों को कुसंस्कारों से नहीं बचा सकते तो इस देश को बचाने मंे ंहम कोई नहीं दे सकते।
उन्होंने कहा कि दुनिया की कोई भी भाषा कार तो दे सकती है परन्तु संस्कार तो मातृभाषा ही दे सकती है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण के लिये जो पूज्य स्वामी जी कार्य कर रहे हैं वह संसार की सबसे बड़ी जरूरत है। अगर दुनिया के सभी मनुष्य समाप्त हो जाये तो एक भी पेड़ को बूखार नहीं आयेगा परन्तु दुनिया के सारे पेड़ समाप्त हो जाये तो एक भी मनुष्य जीवित नहीं बच सकता इसलिये पर्यावरण संरक्षण अत्यंत आवश्यक है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि संगम श्री संत जगदीश परमार्थी जी ने कहा कि कवि संगम देश के लगभग सभी प्रांतों के 5000 से भी अधिक कवियों का यह संगठन है, जिसका धर्म और मूल मंत्र है राष्ट्र जागरण। राष्ट्रीय कवि संगम विगत कई वर्षो से कविताओं के माध्यम से राष्ट्र जागरण का कार्य कर रहा है। हमारे इस संगठन के संरक्षक पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी है उनकी दिव्य दृष्टि, मार्गदर्शन और आशीर्वाद हमेशा बना रहता है, आज हम उनके जन्मदिवस के अवसर पर कविता पाठ कर अत्यंत अभिभूत हैं। हमने संकल्प किया कि पूज्य स्वामी जी महाराज के प्रत्येक जन्मदिवस के अवसर पर हमेशा कविता पाठ करेंगे।
राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संत जगदीश परमार्थी जी, संरक्षक, राष्ट्रीय कवि संगम, ओजकवि डा हरिओम पवार जी, महामंत्री श्री अशोक बŸाा जी, सहमहामंत्री श्री महेश कुमार शर्मा जी, श्री रोहित चौधरी जी, श्री आशीष सोनी जी, सुश्री कल्पना शुक्ला जी, श्री मोहित शौर्य जी, श्री योगेश मिश्रा जी सुश्री महिमा जी, श्री जयेन्द्र कौशिक जी, श्री सुमित सिंह जी, श्री अशोक गोयल जी, श्री श्रीकांत शर्मा जी और राष्ट्रीय स्तर के अनेक कवियों ने सहभाग कर कविताओं के माध्यम से अपनी विलक्षण प्रतिभा के दर्शन कराये।