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शिल्पकार जाति के लोगों को हुए ओबीसी प्रमाण पत्र निर्गत, सीबीआई जांच की मांग

पौड़ी

प्रादेशिक शिल्पकार कल्याण समिति ने शिल्पकार जाति के लोगों को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि पौड़ी जिले की तहसील कोटद्वार में शिल्पकार जाति के लोगों को ओबीसी का प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। जो पूरी तरह से नियमो का उल्लंघन है। समिति ने तहसील में शिल्पकार जाति के लोगों को ओबीसी प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने की सीबीआई जांच किए जाने की मांग की है।   प्रादेशिक शिल्पकार कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष हरीश चंद्र शाह व महासचिव राजेश शाह ने उत्तराखंड के राज्यपाल को एक शिकायती पत्र भेजा। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष हरीश चंद्र शाह ने बताया कि वर्ष 1931 की जनगणना के अनुसार शिल्पकार की 51 जातियां हैं। जिसका उल्लेख हरिजन एवं समाज कल्याण यूपी विभाग में वर्ष 1986 में स्पष्ट रुप से है। वर्ष 2008 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार ने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मूल निवासी बढ़ई, लोहार, सोनार, दर्जी, केवट, धुनार, ताम्रकर, मिस्त्री आदि को अनुसूचित जाति (शिल्पकार) का प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर प्रमुख सचिव उत्तराखंड को निर्देश दिए हैं। बताया कि कार्मिक विभाग की अधिसूचना मार्च 2010 में ओबीसी की सूची में 84 मूल जाति/उप जातियों का विवरण है। जिसमें उत्तराखंड की मूल अनुसूचिज जाति की उप जाति दर्जी, बढ़ई, लोहार, सोनार, केवट, ताम्रकर, तैली, कोली को ओबीसी में शामिल किया गया था। जिसे अनुसूचित जाति सामाजिक संगठनों व लोगों ने विरोध जताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
दिसंबर 2913 में हाईकोर्ट ने उक्त अधिसूचना को निरस्त कर दिया था, जिसके बाद जनवरी 2014 में प्रदेश सरकार ने पुनः उक्त जातियों को अनुजाति में शामिल कर लिया था। लेकिन वर्तमान में कुछ शरारती तत्वों द्वारा शासन-प्रशासन को गुमराह कर ओबीसी प्रमाण पत्र बनवाए हैं। समिति के प्रदेश महासचिव राजेंद्र शाह ने कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों को साजिश का शिकार बनाए जाने का कुत्सित प्रयास हो रहा है। जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सामाजिक तानेबाने को नुकसान पहुंचाने वालो पर कड़ी कार्रवाई की जाय। वहीं एसडीएम कोटद्वार प्रमोद कुमार ने कहा कि तहसील में शिल्पकार जाति के कुछ लोग आए थे कि उन्हें अनुजाति के बजाय ओबीसी प्रमाण पत्र जारी किया जाए। जिन्हें स्पष्ट रुप से ओबीसी प्रमाण पत्र बनवाए जाने के लिए इंकार कर दिया गया था। बावजूद इसके प्रकरण की जांच कर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।