उत्तराखण्ड

तापमान बढ़ने के साथ लौटने लगे आसन कंजर्वेशन से प्रवासी परिंदे

आसन कंजर्वेशन में घटने लगी प्रवासी परिंदों की संख्या ,तापमान बढ़ने के साथ ही अपने वतन

विकासनगर

मार्च माह में तापमान बढ़ने के साथ ही रामसर साइट में शामिल आसन कंजर्वेशन से प्रवासी परिंदों के लौटने के सिलसिले में भी तेजी आने लगी है। यहां इस साल कुल 49 प्रजातियों के 5680 प्रवासी परिंदों ने डेरा डाला था। जिनमें से अब तीस प्रजातियों के करीब 25 सौ परिंदे ही आसन झील में मौजूद हैं। शेष परिंदे अपने मूल स्थानों की उड़ान भर चुके हैं। प्रवासी परिंदों के लौटने का सिलसिला मार्च माह के अंतिम सप्ताह तक जारी रहेगा। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर स्थित आसन कंजर्वेशन क्षेत्र देहरादून जनपद का प्रमुख पर्यटन स्थल है। आसन झील प्रवासी परिंदों की अठखेलियां देखने के लिए यहां यहां बड़ी संख्या में पर्यटक और पक्षी प्रेमी पहुंचते हैं। अक्टूबार माह के बाद सर्दी बढ़ने के साथ ही आसन झील प्रवासी परिंदों से गुलजार होने लगती है। इन प्रवासी परिंदों के दीदार के लिए पर्यटक भी काफी संख्या में यहां पहुंचते हैं। चकराता वन प्रभाग के वन दरोगा एवं पक्षी विशेषज्ञ प्रदीप सक्सेना ने बताया कि फरवरी माह के अंतिम सप्ताह की शुरुआती दिनों से ही प्रवासी परिंदों का लौटना शुरु हो गया था। तापमान बढ़ने से कॉमन पोचार्ड, कॉमन कूट, रेड क्रिस्टड पोचार्ड समेत कई अन्य प्रजातियों के परिंद हर रोज वापसी की उड़ान भर रहे हैं, जिससे प्रवासी परिंदों की संख्या दिन प्रतिदिन घटती जा रही है। मार्च माह के अंतिम सप्ताह तक लगभग सभी प्रवासी परिंदे अपने मूल स्थानों को लौट जाएंगे। सबसे आखिर में सुर्खाब प्रजाति के पक्षियों का झुंड वापसी की उड़ान भरता है। जिसके बाद आसन झील में बीस सिर्फ स्थानीय प्रजातियों के एक हजार के करीब परिंदे कलरव करते हुए दिखाई देंगे।