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महायोजना के निर्माण कार्यो को गुणवत्ता के साथ तेजी से पूरा करने के दिए निर्देश।

चमोली

तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए बदरीनाथ महायोजना का काम लगातार जारी है। जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बुधवार को बद्रीनाथ पहुंच कर मास्टर प्लान के अन्तर्गत संचालित निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण कर समीक्षा की। उन्होंने कार्यदायी संस्थाओं को निर्माण कार्यों की गुणवत्ता का ध्यान रखते हुए तय समय में सभी कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए। कहा कि बरसात के कारण जो कार्य प्रभावित हुए है, उनमें तेजी लाई जाए। तीर्थपुरोहितों के अधिकतर आवासीय भवनों का निर्माण कार्य इसी सीजन में पूरा करें। सिविक एमिनिटी सेंटर, अराइवल प्लाजा और रिवरफ्रंट के अवशेष निर्माण कार्यो में भी तेजी लाए। कही पर कोई भी समस्या हो तो तत्काल संज्ञान में लाया जाए। इस दौरान जिलाधिकारी ने बद्रीनाथ में नदी के दोनों किनारों पर रिवर फ्रंट डेवलपमेंट कार्यो सहित सिविक एमिनिटी सेंटर, अराइवल प्लाजा, आईएसबीटी, हॉस्पिटल, तीर्थ पुरोहित आवासीय भवन निर्माण कार्यो का निरीक्षण करते हुए आवश्यक दिशा निर्देश दिए। यात्रा व्यवस्थाओं का निरीक्षण करते हुए जिलाधिकारी ने धाम में स्वच्छता एवं साफ सफाई बनाए रखने पर विशेष जोर दिया।
निरीक्षण के दौरान एसडीएम सीएस वशिष्ठ, पीआईयू के अधिशासी अभियंता विपुल सैनी, सहायक अभियंता सनी पालीवाल, जिला पर्यटन अधिकारी बृजेन्द्र पांडेय, ईओ सुनील पुरोहित एवं अन्य अधिकारी मौजूद थे।
महायोजना के तहत बद्रीनाथ धाम को आध्यात्मिक हिल टाउन के रूप में विकसित किया जा रहा है। जिसमें भविष्य में यात्रियों की क्षमता एवं आवश्यकता को देखते हुए चरणबद्ध तरीके से मास्टर प्लान के कार्य किए जा रहे है। इस प्रोजेक्ट के तहत धार्मिक पर्यटन सुविधाएं विकसित होने से बद्रीनाथ धाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को अध्यात्म की अनुभूति के साथ बेहतर अनुभव प्राप्त होंगे। साथ ही प्रोजेक्ट के पूरा होने पर स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
बदरीनाथ मास्टर प्लान के पहले चरण में शेष नेत्र व बद्रीश झील का सौंदर्यीकरण, लूप रोड, बीआरओ बाईपास सहित स्ट्रीट लाइट लगाने का काम पूरा हो गया है, जबकि रिवर फ्रंट डेवलपमेंट, अस्पताल विस्तार, बहुउद्देश्यीय और आगंतुक भवन का काम अंतिम चरण में है। तीर्थ पुरोहितों के आवासीय भवनों का निर्माण भी तेजी से चल रहा है। दूसरे चरण में बद्रीनाथ मुख्य मंदिर के आसपास के क्षेत्र का विकास, तीसरे चरण में मंदिर को झील से जोड़ने का काम किया जाना है।