15 हजार से ज्यादा एडमिशन का नहीं किया भुगतान
भोपाल
मध्य प्रदेश में राईट टू एजुकेशन के तहत 25 फीसदी सीटों पर गरीब वर्ग के बच्चों को एडमिशन दिया गया है। निजी स्कूल संचालकों का आरोप है कि राज्य शिक्षा केंद्र ने एडमिशन के बाद भी राशि का भुगतान नहीं किया है। निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि करीब 15 हजार से ज्यादा मामलों में अब तक कार्रवाई नहीं हुई। यह भुगतान करीब दो सालों से अटका हुआ है। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का कहना है वह राज्य शिक्षा केंद्र के चक्कर लगाकर थक गया है। इस मामले पर जल्द कार्रवाई होनी चाहिए।
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह का कहना है कि राज्य शिक्षा केंद्र का नियम है कि नोडल एक सप्ताह के भीतर वेरिफिकेशन कर आगे बढ़ाएं। अगर राज्य शिक्षा केंद्र ऐसा नहीं करता है तो नोडल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। नोडल राज्य शिक्षा केंद्र के आदेश को नहीं मानते हैं। नोडल ने एक स्पाताह के अंदर वेरिकफेकेश करके आगे नहीं बढ़ाया। सिंह ने कहा कि 15 हजार प्रपोजल ऐसे हैं जो नोडल के पास बहुत दिनों से लंबित हैं। राज्य शिक्षा केंद्र ने 15 अगस्त को ही पोर्टल बंद कर दिया है। पोर्टल बंद करने के बाद बहुत से बच्चों का वेरिफिकेशन नहीं हो पाया है। राज्य शिक्षा केंद्र अपने नियम के मुताबिक ही जल्द से जल्द भुगतान करें। बच्चों के अनुपात में भुगतान कम हुआ है। दो साल बीतने के बाद भी स्कूल संचालक राज्य शिक्षा केंद्र के चक्कर लगा रहे हैं। सॉफ्टवेयर को बदलने के बाद भी अब तक भुगतान लंबित है।
400 करोड़ की राशि का सितंबर में होगा भुगतान
वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि अभी पूरा मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। राज्य शिक्षा केंद्र से बातचीत कर राशि के भुगतान को लेकर समस्या का हल निकाला जाएगा। राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारियों का कहना है कि सितंबर महीने तक आरटीई के तहत राशि का भुगतान किया जाएगा। प्रदेश के सभी स्कूलों में करीब 400 करोड़ की राशि का भुगतान किया जाएगा। कोविड -19 में स्कूल न लगने के चलते राशि के भुगतान में थोड़ी देर हुई है।
25 फीसदी सीटों पर होते हैं एडमिशन
आरटीई के तहत बच्चों को निजी स्कूलों में एडमिशन दिया जाता है। इसके माध्यम से निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर गरीब वर्ग के बच्चों का एडमिशन होता है। बच्चे की शिक्षा का खर्च सरकार उठाती है। आरटीई के तहत होने वाले एडमिशन के लिए ऑनलाइन लॉटरी से ही बच्चों का चयन होता है। चयन होने के बाद बच्चों को स्कूलों का आवंटन किया जाता है।