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प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट मामले में हुई सुनवाई, सीजेआई ने केंद्र से पूछा आप जबाव दाखिल करेंगे या नहीं

नई दिल्ली

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 यानी उपासना स्थल अधिनियम के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर सीजेआई ने केंद्र से सवाल कर पूछा कि आपको नोटिस बहुत पहले जारी किया जा चुका है, आप जवाब दाखिल करना चाहते हैं या नहीं? दरअसल, मामले की सुनवाई के दौरान हिंदू पुजारियों के संगठन विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ की ओर से कोर्ट में मौजूद विष्णु जैन ने अदालत को बताया कि मामले में हमने पहले याचिका दाखिल की थी और हमारी याचिका पर भी नोटिस जारी करे। मामले की सुनवाई 2 हफ्ते बाद होगी है।
हालांकि, सीजेआई ने केंद्र से पूछा कि नोटिस बहुत पहले जारी हुआ था। आप जवाब दाखिल करना चाहते हैं या नहीं। इस पर सीजेआई ने कहा कि दूसरी याचिकाएं भी आज सूचीबद्ध हैं। सबके साथ सुनवाई करने वाले हैं। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने अभी जवाब दाखिल नहीं किया है।
बता दें कि मार्च 2021 में कोर्ट ने वकील अश्वनी कुमार और विष्णु जैन की दो याचिकाओं पर नोटिस जारी किया हुआ है। हालांकि केंद्र की तरफ से अभी तक कोई जवाब दायर नहीं किया गया है। मथुरा निवासी देवकीनंदन ठाकुर द्वारा दायर याचिका में 1991 के अधिनियम की धारा 2, 3, 4 की वैधता को चुनौती दी गई है। याचिका में दावा किया गया है कि यह हिंदुओं, जैनों, बौद्धों और सिखों के उनके उपासना स्थलों और तीर्थयात्रा एवं उस संपत्ति को वापस लेने के न्यायिक उपचार का अधिकार छीनती है जो देवता की है। दरअसल, प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट यानी उपासना स्थल कानून ऐसा कानून है, जो 15 अगस्त 1947 को मौजूद किसी भी उपासना स्थल के स्वरूप को बदलने पर पाबंदी लगाता है।