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भारत की आपत्ति के बाद श्रीलंका ने चीन से जासूसी जहाज रोकने को कहा

नई दिल्ली

श्रीलंका को अपनी गिरफ्त में लेकर चीन अब भारत पर नजर रखने की तैयारी कर रहा है उसका जासूसी जहाज युआन वांग-5, श्रीलंका की ओर बढ़ रहा है। वहीं भारत द्वारा चिंता जताए जाने पर श्रीलंका ने चीन से अपने जासूसी जहाज युआन वांग 5 के आगमन को टालने का अनुरोध किया है। चीन का यह जासूसी शिप 13 जुलाई को जियानगिन पोर्ट से रवाना हुआ था और 11 अगस्त को श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर पहुंचेगा और 17 अगस्त तक रहेगा। युआन वांग 5 को स्पेस और सैटेलाइट ट्रैकिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस शिप के जरिये सैटेलाइट, रॉकेट और इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल की लॉन्चिंग को ट्रैक किया जाता है। यह युआन वांग सीरीज का तीसरी पीढ़ी का ट्रैकिंग जहाज है, जो 29 सितंबर, 2007 को सेवा में आया था और इसे चीन के 708 अनुसंधान संस्थान द्वारा डिजाइन किया गया था।
चीन ने श्रीलंका को शिप के दौरान ईंधन और अन्य आपूर्ति के लिए निर्देश दिया है। उपलब्ध खुफिया जानकारी के अनुसार, 17 अगस्त के बाद युआन वांग 5अंतरिक्ष ट्रैकिंग और उपग्रह संचालन निगरानी जैसे अन्य रिसर्च के लिए हिंद महासागर में चला जाएगा। श्रीलंकाई अधिकारियों ने जहाज के आगमन को अगले आदेश तक स्थगित करने की मांग की है। भारत सरकार के सूत्रों ने श्रीलंका के इस कदम का स्वागत किया है और कहा है कि चीन को अन्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। सूत्रों के अनुसार, चीन ने श्रीलंका के आर्थिक संकट का फायदा उठाने के लिए इस गतिविधि को ठीक से समय दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि श्रीलंकाई बंदरगाह चीनी नौसैनिक के ठिकाने बन जाएं, जिन्हें बाद में पीएलए द्वारा इस्तेमाल किया जा सके। सूत्रों ने कहा कि चीनी इस समय मुख्य रूप से भारत की जासूसी करने के लिए श्रीलंका के लोगों को शर्मिंदा कर रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक युआन वांग-5 पावरफुल ट्रैकिंग शिप है। ये शिप तब आवाजाही शुरू करता है जब चीन या कोई अन्य देश मिसाइल टेस्ट कर रहा होता है। यह शिप करीब 750 किलोमीटर दूर तक आसानी से निगरानी कर सकता है। यह शिप पैराबोलिक ट्रैकिंग एंटीना और कई सेंसर्स से लैस है। इस शिप में हाई-टेक ईव्सड्रॉपिंग इक्विपमेंट लगे हैं। यानी कि छिपकर सुनने वाले उपकरण मौजूद हैं। बता दें कि साल 2017 में श्रीलंका ने कर्ज न चुकाने पर साउथ में स्थित हंबनटोटा पोर्ट को 99 साल की लीज पर चीन को सौंप दिया था।