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ब्रह्माकुमारी प्रेमलता बहन का स्मृति दिवस मर्यादा दिवस के रूप में मनाया

देहरादून

ब्रह्माकुमारीज सब जोन देहरादून के विभिन्न केंद्रों से आए 25 वर्ष पवित्रता के रूप पूरे कर चुके संस्था से जुड़े भाई बहनों का सम्मान किया गया।उन्होंने स्वयं को जीवनभर के लिए ईश्वरीय सेवा के प्रति समर्पित होकर परमात्मा शिव को ही अपना साजन चुन लिया।वही राजयोगिनी प्रेमलता बहन की याद में देहरादून के सुभाष नगर सेवा केंद्र पर आयोजित मर्यादा दिवस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ कल्पना सैनी ने कहा कि हमे अपनी पांचों इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए ,तभी हम अपनी महत्वाकांक्षा को कम कर सकते है।उन्होंने मर्यादित जीवन को श्रेष्ठ बताया व ब्रह्माकुमारीज संस्था की ईश्वरीय सेवाओं की सराहना की।उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्था को देश व समाज के लिए प्रेरक बताया जो दुनिया को चरित्र निर्माण का संदेश दे रही है। हिन्दू रक्षा सेना सनातन धर्म महासंघ के अध्यक्ष स्वामी प्रबोधानंद गिरी महाराज ने ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति अभिवादन शब्द को सुखद बताया और ओम ध्वनि को लेकर चर्चा की।उन्होंने कहा कि दुनिया के लोग जब यह पूछते है कि भगवान भारत में ही क्यो आते है,तब उन्हें हम गर्व से कहते है कि भारत ही दुनिया मे केवल एक पवित्र धरा है। ब्रह्माकुमारीज की ज्वाइंट चीफ ने राजयोगिनी प्रेमलता बहन के चित्र को निहारते हुए उनके रूहानी स्वरूप को अनुपम बताया। राजयोगिनी बीके प्रेम लता बहन की 7वीं पुण्यतिथि पर उनके मर्यादित जीवन को प्रेरणा प्रद बताया गया।उन्होंने प्रेम बहन के अनुशासन व साधु संतों की सेवा कार्य का भी उल्लेख किया।राजयोगी ब्रह्माकुमार सुशील भाई के संचालन में ब्रह्माकुमारीज हरिद्वार केंद्र इंचार्ज बीके मीना दीदी ने प्रेमलता बहन के साथ बिताए 40 वर्षो को याद करते हुए उन्हें मर्यादा व आदर्श की मिसाल बताया।बीके मंजू ने आत्मा व परमात्मा को रेखांकित करते हुए राजयोगिनी प्रेमलता बहन के मर्यादित जीवन से प्रेरणा लेने का आव्हान किया। उन्होंने राजयोगिनी प्रेमलता बहन को भावुक मन से याद करते हुए उनके सद्गुणों की तारीफ की,जबकि बीके सोनिया ने उनपर एक लाजवाब कविता सुनाई। बीके सुशील भाई ने प्रेमलता बहन को संतो की आदर्श बताया व उनके द्वारा की गई ईश्वरीय सेवाओं को याद किया। इस अवसर पर बीके तारा,बीके गीता,बीके सोनिया, बीके आरती ,रुड़की से श्रीगोपाल नारसन आदि मौजूद रहे।कार्यक्रम में सांसद डॉ कल्पना सैनी,स्वामी प्रबोधानंद व श्रीगोपाल नारसन को राजयोगिनी सुदेश दीदी ने शाल ओढ़ाकर व ईश्वरीय सौगात देकर सम्मानित किया।