हैदराबाद के आर्च बिशप पूला एथंनी बने कार्डिनल बिशप
वैटिकन सिटी
हैदराबाद के आर्च बिशप पूला एंथोनी को कार्डिनल चुन लिया गया है। वह इस कार्डिनल चुने जाने वाले पहले दलित हैं। रोम स्थित वेटिकन सिटी में आयोजित एक कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस ने पूला के सिर पर बेहद खास ‘लाल हैट’ रखा और हाथों में अंगूठी पहनाई। वेटिकन सिटी में आयोजित भव्य समारोह में चर्च के 21 सदस्यों को कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किया गया है।
वेटिकन में भारत के दो कार्डिनल- आर्कबिशप ऑफ गोवा एंड दमाओ के आर्कबिशप फिलिप नेरी एंटोनियो सेबेस्टियाओ डी रोजेरियो फेराराओ और आर्कबिशप दी हैदराबाद के आर्कबिशप एंथनी पूला को स्थान दिया गया है। इन दोनों के शामिल होने के बाद कार्डिनल में शामिल होने वाले भारतीय मूल के लोगों की संख्या कुल मिलाकर 6 हो गई है। इनका चयन, चर्च का ऐसा नेतृत्व तैयार करने के पोप फ्रांसिस के संकल्प का हिस्सा माना जा रहा है, जिससे कैथलिक चर्च का वैश्विक चेहरा प्रदर्शित होता हो।
पूला का जन्म आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के चिंदुकुर गांव में हुआ था। 1992 में उनकी नियुक्ति एक पुजारी के तौर पर हुई है। वहीं 2008 में पूला को कुरनूल के बिशप के रूप में नियुक्त किया गया था। तब उनकी उम्र 60 साल थी। फादर फेराराओ का जन्म 20 जनवरी 1953 को पणजी के समीप एल्डोना गांव में हुआ। रोम में कार्डिनल चुने जाने से पहले पत्रकारों से बात करते हुए, एंथनी ने पोप फ्रांसिस के शब्दों को दोहराते हुए कहा मैं गरीबों के लिए एक गरीब चर्च की कामना कैसे करता हूं। मुझे लगता है कि दलित समुदाय को उठना चाहिए। उन्हें दुर्भाग्य से बाहर निकलना चाहिए।
पोप फ्रांसिस ने इस साल मई में सेंट पीटर्स स्क्वायर में अपने पारंपरिक संबोधन के अंत में नए कार्डिनल के नामों की घोषणा की थी। कम से कम 16 नए कार्डिनल की उम्र 80 साल से कम है, जिससे वे गुप्त सम्मेलन में अगले पोप के चयन के लिए मतदान करने के पात्र होंगे। पोप से लाल हैट पाने वाले चर्च के सदस्यों में दो भारत के, जबकि एक-एक मंगोलिया, घाना, नाइजीरिया, सिंगापुर, पूर्वी तिमोर, पराग्वे और ब्राजील के हैं।