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फाइनेंस के असंतुलन ने बढ़ाई बैंकों की रिस्क

मुंबई 

बंधन बैंक के सातवें वार्षिक समारोह में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रणव सेन ने बैंकों को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा बैंकों की आर्थिक हालत कभी भी बेकाबू हो सकती हैं। इसका मुख्य कारण बैंकों का जो फाइनेंस स्ट्रक्चर था। बैंकों द्वारा उसमे बदलाव किया गया है। जिसके कारण बैंकों का जोखिम बढ़ गया है। उन्होंने कहा 20 साल पहले बैंकों के लोन पोर्टफोलियो में 70 फीसदी वर्किंग कैपिटल का हिस्सा होता था। 20 फीसदी रिटेल फाइनेंस का और टर्म लोन का हिस्सा 10 फीसदी होता था। वर्तमान में बैंकों के लोन पोर्टफोलियो में वर्किंग कैपिटल का हिस्सा घटकर 35 फीसदी रह गया है। टर्म लोन का हिस्सा 45 फीसदी हो गया है। जिसके कारण बैंकों का जोखिम बहुत बढ़ गया है। बैंकों के सामने नगदी का बहुत बड़ा संकट खड़ा है। उन्होंने कहा बैंकों ने ब्रिटिश मॉडल अपनाया हुआ है। बैंकों को कैपिटल मार्केट से उधार लेने की अनुमति नहीं है। जिसके कारण ग्राहकों के जमा पैसे वापस करने में बैंकों के सामने कभी भी संकट खड़ा हो सकता है।