आनंद शर्मा के इस्तीफे से हिमाचल में कांग्रेस की बढ़ेगी मुश्किलें
शिमला
देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी को झटकों पर झटके लग रहे हैं। कश्मीर में गुलाम नबी आजाद के छिटकने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने भी हिमाचल प्रदेश में अहम पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, उन्होंने हमेशा कांग्रेसी रहने का दावा किया है, लेकिन यह इस्तीफा पार्टी के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। शर्मा पहाड़ी राज्य के सियासी हाल को लेकर भी कह रहे हैं कि केवल वह और उनके समर्थक ही भारतीय जनता पार्टी से लड़ सकते हैं। खास बात है कि भाजपा के शासन वाले राज्य में कांग्रेस ऐसे समय पर दोबारा तैयार होने की कोशिश कर रही है, जहां आम आदमी पार्टी भी अपनी सक्रियता बढ़ा रही हैं।
शर्मा ने बताया कि अब तक उनसे किसी ने भी बात नहीं की है। सवाल किया गया कि क्या अब तक किसी ने संपर्क किया? तो इस पर वह बोले कि नहीं, कौन मुझसे बात करेगा। उन्होंने कहा कि मेरे जैसी वरिष्ठता वाले को अब तक कोई सम्मान नहीं दिया गया। खास बात है कि अब तक पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी उनके पत्र का जवाब नहीं दिया है।
शर्मा कहते हैं कि उनके पास मेरा लैटर है, श्मैं उनके जवाब का इंतजार कर रहा हूं। मुझे यकीन है कि यह उनकी सूची में शामिल होगा।श् उन्होंने पार्टी में तैयार हुई स्थिति पर दुख जाहिर किया है। कांग्रेस नेता ने कहा, श्लेकिन यह दुखद है कि उन्होंने यह स्थिति तैयार होने दी। मैं उनका सम्मान करता हूं।श् उन्होंने कहा कि वह हिमाचल जा रहे हैं और उनके समर्थक भी साथ जाएंगे। शर्मा ने कहा, श्पार्टी को बर्बाद करने वाले इन लोगों को (हिमाचल) भेज दो। क्या ये वहां भाजपा से लड़ सकते हैं? केवल मैं और मेरे समर्थक कर सकते हैं।श् उन्होंने कहा कि गुटबाजियों के बाद भी पूरी पार्टी हिमाचल में मेरे साथ खड़ी है।
हाल ही में कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस की कमान प्रतिभा चौहान को दी थी। खबर है कि पार्टी को उम्मीद थी कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनके पति की विरासत पार्टी को जोड़कर रखेगी, लेकिन कहा जा रहा है कि पार्टी में अभी भी आंतरिक कलह जारी है। शर्मा ने भी अपने पत्र में कई समितियां होने की परेशानियां गिनाई हैं। उन्होंने कहा है कि चुनाव की तैयारियों और रणनीति को लेकर हिमाचल कांग्रेस और वरिष्ठ नेताओं की बैठक दिल्ली और शिमला दोनों जगह हुईं, लेकिन उन्हें इसके बारे में नहीं बताया गया। रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों का कहना है कि चुनाव के लिए पार्टी आलाकमान की तरफ से गठित कई समितियों ने कंफ्यूजन बढ़ा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, एक नेता ने कहा कि कुछ समितियां स्थानीय नेताओं के हितों के खिलाफ काम कर रही हैं।