उत्तराखण्ड

प्रयागराज में लोग बेसब्री से करते हैं बाढ़ की प्रतीक्षा, हनुमान जी की मूर्ति डूबने पर मनाते हैं जश्न

प्रयागराज 

बाढ़ आने की कौन दुआ करता है, सभी चाहते हैं बाढ़ न आए, लेकिन लेकिन प्रयागराज के एक इलाके में लोग बाढ़ आने का इंतजार करते हैं। इस इलाके में एक मंदिर है, मंदिर में बाढ़ का पानी घुसने पर लोग प्रसन्न होते हैं और शंखनाद कर पानी का स्वागत किया जाता है। जिसे देखने के लिए दूर दूर से लोग मंदिर में एकत्र होते हैं और बाढ़ का जश्न मनाते हैं।
प्रयागराज में लेटे हुए हनुमान जी का एक मंदिर है। प्रयागराज के संगम से सटा हुआ बड़े हनुमान जी का यह मंदिर देश भर में प्रसिद्ध है। संगम तट पर लगने वाले कुंभ-अर्धकुंभ और माघ मेले में देश और दुनिया से पहुंचने वाले श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाने के बाद इस मंदिर में जरूर दर्शन करते हैं।
मंदिर में गंगा के प्रवेश करते ही शिष्यों और पुजारियों गंगा की आरती मंत्रों के उच्चारण से मां गंगा का स्वागत के साथ घंटा और घड़ियाल बजने लगते हैं। हनुमान मंदिर के गर्भगृह के द्वार पर पुष्प माला, दूध, दही, मधु, मिष्ठान चढ़ाया जाता है। इसके कुछ ही समय में गंगाजल बड़े हनुमान मंदिर के गर्भगृह में पहुंच जाता है और बजरंग बली की लेटी हुई प्रतिमा का गंगा से अभिषेक किया जाता है। पूजा पाठ के बीच देखते देखते बजरंगी बली को गंगा अपने आगोश ले लेती है। बजरंग बली के बाढ़ में डूब जाने के बाद मंदिर में ऊंचे स्थान पर स्थापित बजरंग बली के विग्रह की विशेष पूजा आरती तब तक होती है, जब तक बाढ़ का पानी उतर नही जाता।
हनुमान मंदिर के प्रमुख महंत बलबीर गिरी के मुताबिक मां गंगा खुद बड़े हनुमान जी को स्नान कराने आती हैं और माना जाता है कि जिस साल गंगा बजरंगबली को स्नान कराती है, वह साल शुभ होता है। देश से तमाम तरह की विपत्तियां और महामारी दूर होती है और पूरे विश्व में शांति रहती है ।
प्रयाग संगम किनारे इस लेटे हुए हनुमान मंदिर के पीछे ये मान्यता है कि लंका विजय के बाद हनुमान जी का शरीर जीर्ण शीर्ण हो गया था। जिसके बाद सीता जी ने उन्हें यहां विश्राम के लिए भेजा था और इसी वजह से यहां बजरंग बली शयन मुद्रा यानी लेटे हुई मुद्रा में हैं।