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पार्थ व उनकी सहयोगी अर्पिता को 18 अगस्त तक के लिए जेल भेजा गया

कोलकाता 

पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को कोलकाता की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को 18 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। विशेष पीएमएलए अदालत के न्यायाधीश जिबोन कुमार साधू ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आग्रह पर चटर्जी और मुखर्जी को 14-14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
अदालत ने पूर्व मंत्री की जमानत याचिका को खारिज कर दिया और चटर्जी और मुखर्जी को 18 अगस्त को मामले की फिर से सुनवाई होने पर पेश करने को कहा। अदालत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा आरोप बेहद गंभीर हैं और आरोपियों की ईडी की हिरासत के दौरान बड़ी मात्रा में नकदी, सोना, संपत्ति के कागजात, बैंक खातों का विवरण और अन्य दस्तावेज मिले हैं तथा जांच शुरुआती चरण में है।
चटर्जी को यहां प्रेसिडेंसी सुधार गृह में, जबकि मुखर्जी को अलीपुर महिला सुधार गृह में रखा जाएगा और अदालत ने इसके अधीक्षकों को निर्देश दिया कि वे जांच अधिकारियों को उनसे पूछताछ करने की इजाजत दें। सुधार गृह के अधीक्षकों को निर्देश दिया गया कि वे जांचकर्ताओं से जरूरी सहयोग करें और सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत में रिपोर्ट जमा कराएं।
न्यायाधीश साधू ने ईडी और मुखर्जी के वकीलों की इस गुजारिश को भी स्वीकार कर लिया कि महिला सुधार गृह की अधीक्षक को मुखर्जी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाए। स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की ओर से की गई भर्तियों में कथित अनियमितता में धन के लेन-देन से जुड़ी जांच के सिलसिले में 23 जुलाई को चटर्जी और मुखर्जी को गिरफ्तार किया था। तब से ही वे ईडी की हिरासत में थे। ईडी ने दावा किया है कि उसने मुखर्जी के स्वामित्व वाले आवासों से 49.80 करोड़ रुपये नकद, जेवरात, और सोने की छड़ें बरामद की हैं। उसने यह भी दावा किया है कि एजेंसी को संपत्तियों और कंपनियों से संबंधित दस्तावेज भी मिले हैं। दोनों को धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया गया है।