उत्तराखण्ड

संतों के सानिध्य में मनाया गया ब्रह्मलीन स्वामी केशवानंद महाराज का 98 वां अवतरण दिवस

हरिद्वार

ब्रह्मलीन स्वामी केशवानंद महाराज का 98वां अवतरण दिवस संत महापुरूषों के सानिध्य व श्रद्धालु भक्तों की उपस्थिति में खड़खड़ी स्थित निर्धन निकेतन आश्रम में समारोह पूर्वक मनाया गया। समारोह को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि संत परंपरा ही भारत को महान बनाती है। ब्रह्मलीन केशवानंद महाराज त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति तथा संत समाज के प्ररेणा स्रोत थे। युवा संतों को उनके आदर्शपूर्ण जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र कल्याण में योगदान करना चाहिए। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि निर्मल जल के समान जीवन जीने वाले ब्रह्मलीन स्वामी केशवानंद महाराज ने जीवन पर्यन्त भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। स्वामी केशवानंद महाराज द्वारा स्थापित सेवा परंपरा को उनके शिष्य स्वामी ऋषि रामकृष्ण निंरतर आगे बढ़ाते हुए उनके अधूरे कार्यो को पूरा रहे हैं। महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि संत महापुरूष केवल शरीर त्यागते हैं। उनके विचार और शिक्षाएं सदैव समाज का मार्गदर्शन करते रहते हैं। ब्रह्मलीन स्वामी केशवानंद का कृतित्व एवं उनके द्वारा प्रसारित ज्ञान सदैव सभी को समाज सेवा की प्रेरणा देते रहेंगे। पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि योग्य गुरू को ही सुयोग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। स्वामी ऋषि रामकृष्ण महाराज अपने गुरूदेव ब्रह्मलीन स्वामी केशवानंद महाराज की विरासत को जिस प्रकार आगे बढ़ा रहे हैं। वह अत्यन्त प्रशसंनीय है। निर्धन निकेतन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषि रामकृष्ण महाराज ने कार्यक्रम में उपस्थित संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरू ही परमात्मा का स्वरूप हैं। वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें ब्रह्मलीन स्वामी केशवानंद महाराज जैसे महान गुरू का सानिध्य प्राप्त हुआ। पूज्य गुरूदेव द्वारा स्थापित सेवा प्रकल्पों को आगे बढ़ाते हुए संत महापुरूषों व समाज के जरूरतमंदों की सेवा करना ही उनके जीवन का लक्ष्य हैं। समारोह में बाबा हठयोगी, महंत दामोदर दास, स्वामी चिदविलासानंद, महंत विष्णुदास, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत रामानंद, स्वामी ऋषिश्वरानंद, महंत अमनदीप िंसंह, महंत रामानंद, पार्षद महावीर वशिष्ठ आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त व गणमान्य लोग उपस्थित रहे।