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टारगेट किलिंग को लेकर एक तिहाई कश्मीरी पंडितों का पलायन

-आरोप रू बिजली के तार लगा रोकने की कोशिश

श्रीनगर

जम्मू और कश्मीर में हिंदुओं को निशाना बनाकर हत्याओं (टारगेट किलिंग) के बढ़ते मामलों के बीच घाटी से एक तिहाई प्रवासी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का पलायन हो चुका है। यह दावा शनिवार को बीजेपी नेता और जम्मू और कश्मीर में बीजेपी के राजनीतिक प्रतिक्रिया विभाग के प्रभारी अश्विनी चूंगरू ने किया। चूंगरू ने बताया, मेरा मानना है कि 2000 प्रवासी कश्मीरी पंडित कर्मचारी सपरिवार जम्मू पहुंच चुके हैं। वे मई की शुरुआत में चालू हुए इन आतंकी हमलों (हिंदुओं को निशाना बनाकर) से हैरान-परेशान हैं। बकौल चूंगरू, मेरी समझ से दो हजार परिवार जम्मू पहुंच चुके हैं। वे आज, कल और उससे एक दिन पहले वहां पहुंचे थे। प्रतिबंधों के बावजूद लोग अपने आप निकल रहे हैं। वे ऐसा खुद से कर रहे हैं। प्रशासन पूरी तरह से फेल हो गया है। चूंगरू यह भी बोले, कश्मीर में धर्मनिरपेक्षता या शांति का प्रदर्शन करने के लिए उनके समुदाय को श्बलिदान के मेमनोंश् के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। दरअसल, यह आंकड़ा प्रधानमंत्री की वापसी और पुनर्वास पैकेज के तहत साल 2010 से घाटी में काम करने वाले लगभग 6,000 पंडितों में से एक तिहाई है।
अगर चूंगरू का दावा (पलायन करने वाली संख्या को लेकर) सही है, तब सरकार की ओर से पंडितों को घाटी में वापस बसाने वाला प्लान काम नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा है- जम्मू रीलोकेट किए जाने से जुड़ा पंडितों का प्रदर्शन कश्मीर में लगभग खत्म हो गया है। उन्होंने इसके पीछे तर्क दिया कि यह सबूत है कि वे या तो वहां से निकल चुके हैं या फिर इलाका छोड़ने की योजना बना चुके हैं। उन्होंने आगे कहा, आप भेड़ियों के पास हिंदुओं को नहीं छोड़ सकते हैं३तब फिर क्या फर्क रह जाएगा 1990 में और अब में? हालांकि, सरकार ने ताजा पलायन पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
बहरहाल, उन्होंने ये बातें ऐसे वक्त पर कहीं, जब कश्मीर पंडित संघर्ष समिति (पंडितों का प्रतिनिधित्व करने वाली समिति, जिसके लोगों ने कभी भी घाटी से पलायन नहीं किया) ने हाईकोर्ट से गुजारिश की थी कि सरकार को रीलोकेट कर के जम्मू शिफ्ट किया जाए। समिति के श्प्रतिनिधिमंडलश् ने चीफ जस्टिस से दावा किया कि प्रशासन ने सड़कें बाधित कर दी हैं। कुछ कश्मीरी पंडितों के ट्रांजिट कैंपों के सामने इलेक्ट्रिक फेंसनुमा दीवार (बिजली के तार लगाकर) खड़ी कर दी गई है। सरल तरीके से समझें तो वहां के गेट लॉक कर दिए गए हैं, ताकि कश्मीरी पंडितों को पलायन से रोका जा सके।
चूंकि, एक महीने में वहां नौ हिंदुओं की हत्या की जा चुकी है, जिससे दहशत का माहौल है। यही वजह है कि डर, अकेलेपन और असुरक्षा के भाव के बीच कश्मीरी पंडितों के साथ गैर-कश्मीरी भी वहां से जल्द से जल्द निकलने की सोच रहे हैं। अनंतनाग मुठभेड़ में हिजबुल कमांडर ढेर, शोपियां में ग्रेनेड अटैकः इस बीच, जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच शुक्रवार को हुई मुठभेड़ में तीन सैनिक और एक आम नागरिक घायल हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान हिजबुल कमांडर निसार खांडे भी मार गिराया गया। हालांकि, इस बारे में फिलहाल आधिकारिक पुष्टि नहीं है। शोपियां में ग्रेनेड अटैक, दो प्रवासी जख्मीः वहीं, शोपियां जिले में शुक्रवार को आतंकवादियों के ग्रेनेड हमले में दो प्रवासी मजदूर घायल हो गए। पुलिस ने कहा, अगलार जैनापुरा में आतंकवादियों ने ग्रेनेड फेंका, जिसके चलते दो गैर-स्थानीय निवासी मामूली रूप से घायल हो गए। इलाके की घेराबंदी कर दी गई है।