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बेंच और बार न्यायपालिका के दो पहिये, दोनों में मधुर संबंध स्थापित होने चाहिए: तिवारी

हरिद्वार

ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी रामस्वरूप वेदांताचार्य महाराज के आठवें निर्वाण महोत्सव के उपलक्ष में श्री गुरु मंडल आश्रम में विद्वत सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें संत समाज के साथ-साथ हरिद्वार के ब्राह्मण और आचार्यों ने भी हिस्सा लिया। इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामी शिव योगी रघुवंश पुरी व्याकरणाचार्य महाराज ने कहा कि संत परंपरा पूरे विश्व में भारत को महान बनाती है और विद्वान महापुरुष ही एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश को एक नई दिशा प्रदान करने में ब्राह्मण समाज का अहम योगदान है और संत महापुरुषों द्वारा दी गई शिक्षा अनंत काल तक लोगों का मार्गदर्शन करती है। महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप दर्शनाचार्य महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म अनादि काल से विश्व का मार्गदर्शन करते चले आ रहे हैं। हमें अपनी संस्कृति और संस्कारों का बोध अवश्य होना चाहिए। सनातन परंपराएं निर्वहन करते हुए राष्ट्र को उन्नति की ओर पहुंचाना ही संतों का मूल उद्देश्य है। युवा पीढ़ी और संत समाज भारत की राष्ट्रीय धरोहर हैं। जिनके कंधे पर भविष्य की जिम्मेदारी है। पाश्चात्य संस्कृति का त्याग कर युवाओं को संस्कारवान बनाना प्रत्येक परिवार और समाज का कर्तव्य है और संत समाज अपने सहयोग से भावी पीढ़ी को सुसंस्कारबान बना रहा है। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद पुरी महाराज ने कहा कि विद्वानों की शरण में रहकर व्यक्ति में उत्तम चरित्र का निर्माण होता है और महापुरुषों ने सदैव ही समाज को एक नई दिशा प्रदान की है। अपने तप और विद्वत्ता के माध्यम से संत समाज भारत ही नहीं अपितु विश्व में सनातन संस्कृति का प्रचार प्रसार कर रहा है, जो सभी के लिए गौरव की बात है। कार्यक्रम का संचालन महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद महाराज ने किया। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का स्वामी शिव स्वरूप महाराज एवं आचार्य अच्युतानंद पाठक ने फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर श्री पंचायती अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत रघुवीर दास, स्वामी महेशानंद शास्त्री महाराज, डा.विष्णुदत्त राकेश, आचार्य स्वामी सूर्यदेव महाराज, डास.भोला झा, डा.हरि गोपाल शास्त्री प्रधानाचार्य गुरुकुल महाविद्यालय, महावीर प्रसाद गैरोला, पंकज भाई जानी, नीलेश भाई पारीक, ठाकुरदास भाई दास, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, महंत गुरमीत सिंह सहित कई संत महंत और गणमान्य लोग मौजूद रहे।