संजय गुप्ता पर धामी खामोश
विधायक संजय गुप्ता ने प्रदेश अध्यक्ष को बताया गद्दार
सीएम धामी ने संयम रखने की अपील की
राजनीति में कभी-कभी कदम रोकने पड़ते हैं। उत्तराखण्ड मंे भाजपा के साथ ऐसा ही कुछ हो रहा है। पार्टी के विधायक संजय गुप्ता ने प्रदेश अध्यक्ष पर गद्दारी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मदन कौशिक ने पार्टी के उम्मीदवारों को हटाने की कोशिश की है। राज्य मंे एक ही चरण मंे मतदान होना था। इसके बावजूद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 10 मार्च तक प्रतीक्षा करेंगे। उन्हांेने विधायक संजय गुप्ता के बयान पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया है। राज्य मंे इस बार 65.3 फीसद मतदान हुआ है। मतदान करने मंे महिलाएं आगे रही हैं। उन्हांेने 67.30 फीसद मतदान किया जबकि सिर्फ 62.10 फीसद पुरुष मतदान स्थल तक अपने मताधिकार का प्रयोग करने पहुंचे।
हरिद्वार जिले की लक्सर विधानसभा से सिटिंग विधायक संजय गुप्ता ने जबसे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के खिलाफ मोर्चा खोला है, तबसे बीजेपी सवालों के घेरे में है। इस तरह की खबरें थीं कि गुप्ता के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा, लेकिन अभी पार्टी ने इसे बातचीत से ही हल करने का विकल्प ठीक समझा है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने इस मामले में मीडिया से बात करते हुए इसे मामूली बात बताया और कहा कि भाजपा चूंकि राज्य में जीत रही है इसलिए सभी को संयम बरतना चाहिए।
सीएम धामी ने भाजपा के तमाम पदाधिकारियों और विधायकों से संयम बरतकर बयानबाजी करने की अपील करते हुए यह भी कहा कि पार्टी के तमाम कार्यकर्ताओं ने मिलकर पार्टी के पक्ष में चुनाव लड़ा है। इस तरह के आरोप निराधार हैं कि पार्टी के प्रत्याशियों के खिलाफ कार्यकर्ताओं या पदाधिकारियों ने साजिश करवाई। गुप्ता और अन्य भाजपाइयों के पार्टी के भीतर ‘गद्दार’ होने के आरोपों पर धामी ने कहा, ‘ये सब छोटी बातें हैं, हम इसे बातचीत से हल कर लेंगे।’ साफ तौर पर यह बीजेपी का बैकफुट पर जाना समझा जा रहा है, लेकिन इसकी वजह क्या है? सिर्फ गुप्ता ही नहीं चंपावत और काशीपुर से सिटिंग विधायक कैलाश गहतोड़ी और हरभजन सिंह चीमा ने भी पार्टी में गद्दारों के होने के आरोप लगाए। गुप्ता ने तो सीधे पार्टी के प्रदेश मुखिया पर ही हमला बोला और मदन कौशिक की संपत्ति की जांच तक करवाए जाने की मांग कर दी।
भाजपा का अंदरूनी आंकलन यह है कि चुनाव नतीजे आने पर बात एक एक सीट, एक एक विधायक को लेकर फंस सकती है। ऐसे में भाजपा अभी किसी को भी बेदखल या नाराज करने के मूड में नहीं है। चुनाव नतीजों तक सबको मनाने और शांत करने की कवायद है। अब तक की स्थिति यही है कि रिजल्ट के बाद ही पार्टी किसी किस्म के एक्शन पर विचार कर सकती है। उत्तराखंड में कुल 65.37 फीसद मतदान हुआ। मतदान के आंकड़ों के विश्लेषण से एक खुलासा और हुआ कि अधिकतर राज्यों में पुरुष ज्यादा मतदान करते हैं, लेकिन उत्तराखंड में महिलाओं ने वोटिंग में पुरुषों को पछाड़ दिया। महिलाओं की वोटिंग का आंकड़ा पुरुषों की तुलना में 4.60 फीसद ज्यादा रहा।
राज्य निर्वाचन अधिकारी के आंकड़ों के हिसाब से उत्तराखंड में 81,72,173 सामान्य वोटर हैं और 94,471 सर्विस वोटर, जो लोग सीमाओं पर सुरक्षा के लिहाज से तैनात होने के कारण वोट देने नहीं आते हैं, वो अपने बदले किसी को वोट देने के लिए नामित करते हैं। चुनाव आयोग की इस सुविधा को सर्विस वोटर कहा जाता है। उत्तराखंड चुनाव में इनमें से कुल 53,42,462 वोटरों ने मतदान किया, जिनमें महिलाओं ने बाजी मारी। बागेश्वर जिले में तो पुरुषों और महिलाओं के वोट करने के बीच 12 फीसद का अंतर देखा गया। उत्तराखंड में 2017 में कुल 65.56 फीसद वोटिंग हुई थी।