गेहूं की बुवाई में देरी पर इन किस्मों का चयन करें
ऋषिकेश। जिन क्षेत्रों में देरी से गेहूं की बुवाई की जाती है, वहां उपज काफी कम प्राप्त रहने की संभावना होती है। इन क्षेत्रों के लिए विशेष प्रकार की कम अवधि में तैयार होने वाली किस्मों का ही चयन करना सही रहता है। ऐसा फसल चक्र पछवादून के विकासनगर एवं सहसपुर तथा डोईवाला के कुछ क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है।
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि मैदानी भाबर एवं तराई के क्षेत्रों में सिंचित स्थानों पर गेहूं की अगेती बुवाई अक्तूबर के अंतिम सप्ताह से लेकर मध्य नवंबर तक की जाती है। समय से गेहूं की बुवाई 20 नवंबर तक की जाती है। मध्यम देरी से बुवाई करने का समय नवंबर अंतिम सप्ताह से लेकर 10 दिसंबर तक होता है। इसी के साथ अधिक देरी से बुवाई करने का समय दिसंबर का दूसरा पखवाड़ा माना जाता है। गेहूं के कुल बुवाई क्षेत्रफल का लगभग 30 से 40 फीसदी क्षेत्रफल मध्यम देरी से बुवाई के अंतर्गत आता है। पछेती बुवाई में यदि 15 दिसंबर के बाद गेहूं की बुवाई की जाती है तो इसमें पौधों की बढ़ोतरी कम, जमाव भी कम तथा उत्पादन कम प्राप्त होता है। फरवरी में तापमान बढ़ने से उसकी वृद्धि एवं विकास पर प्रभाव पड़ने के कारण गेहूं की बालियों में कम भार का दाना प्राप्त होता है, जिस कारण प्रति हेक्टेयर उपज कम प्राप्त होती है।
बुवाई के समय के अनुसार ही उन्नत किस्मों का चुनाव करने के साथ-साथ खेत की तैयारी एवं बुवाई के तौर-तरीकों में परिवर्तन और आवश्यक सावधानी की जरूरत रहती है। अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए यह बहुत ही आवश्यक है कि गेहूं की बुवाई करते समय क्षेत्र के अनुसार अनुमोदित किस्म का ही चयन किया जाए। उन्होंने बताया कि यूपी 2944, यूपी 2844, यूपी 2865, यूपी 2526, यूपी 2565, डब्ल्यूएच 1124, एचडी 3059, पीबीडब्ल्यू 590, डीबीडब्ल्यू 73, डीबीडब्ल्यू 71, राज 3765, राज 3077 आदि गेहूं की प्रजातियां हैं, जिनको हम पछेती अवस्था में बुवाई कर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
नवंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर दिसंबर प्रथम सप्ताह तक बुवाई करने के लिए डीबीडब्ल्यू 187 एवं एचडी 3086 का चयन करना ज्यादा सही। उनका कहना है खेत की तैयारी करते समय ध्यान रखें कि बुवाई के समय खेत में नमी का स्तर काफी अच्छा हो। इसके लिए यदि फसल की कटाई में देरी लग रही हो, जैसे गन्ने की कटाई करते समय खेत खाली ना होना और उसमें गेहूं की बुवाई किया जाना हो, तो खड़े गन्ने में सिंचाई कर देनी चाहिए। इस प्रकार खेत की तैयारी करते समय उचित नमी प्राप्त होगी। साथ ही साथ यह ध्यान भी रखें की खेत की तैयारी करने में कम से कम समय लगे, जिससे शीघ्र ही खेत बुवाई के लिए उपलब्ध हो सके। ऐसे में गोबर की खाद का उपयोग एवं खेत का समतलीकरण तेजी के साथ कर देना चाहिए।