जलापूर्ति निजीकरण के विरोध में उतरे कर्मचारी
देहरादून
उत्तराखंड पेयजल निगम कर्मचारी महासंघ ने शहरों की जलापूर्ति व्यवस्था निजी हाथों में दिए जाने का विरोध किया है। महासंघ ने इस फैसले से कार्मिकों के हित प्रभावित होने की आशंका जाहिर की है। शनिवार को संगठन भवन में आयोजित महासंघ की आपात बैठक में वक्ताओं ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ रणनीति तय करने के लिए पांच जनवरी को जलभवन में विस्तृत बैठक बुलाई जाएगी। इस बैठक में दोनों विभागों के कार्मिक – पदाधिकारियों के साथ-साथ दोनों विभागों के पेंशनर और उपनल से नियुक्त कर्मचारी भी शामिल होंगे, जिसमें फैसले के खिलाफ आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। अध्यक्ष जीतेन्द्र देव और महामंत्री रमेश बिंजोला ने कहा कि सरकार बिना कर्मचारियों को भरोसे में लिए शहरी क्षेत्रों की पेयजल योजनाएं 18 साल के लिए निजी संस्थाओं को देने की तैयारी कर रही है। इसका दुष्परिणाम जनता के साथ ही कार्मिकों को उठाने होंगे। यदि इस फैसले पर अमल किया गया तो पेयजल निगम और जल संस्थान में कार्मिकों के सामने वेतन भत्तों के साथ ही पेंशन का भी संकट खड़ा हो जाएगा। इसलिए यदि सरकार ने यह फैसला वापस नहीं लिया तो कर्मचारी आंदोलन के लिए विवश होंगे। इस मौके पर कर्मचारी नेता प्रेम सिंह रावत, विजय खाली, राम कुमार, अजय बेलवाल, संजय जोशी, जयपाल सिंह चौहान, मनोज बगली, धमेन्द्र चौधरी, श्याम सिंह रावत, लक्ष्मी नारायण भट्ट उपस्थित रहे।