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नए मंदिर में विराजमान हुईं मां धारी देवी

श्रीनगर गढ़वाल

श्रीनगर से करीब 13 किमी की दूरी पर कलियासौड़ स्थित सिद्धपीठ मां धारी देवी का दरबार शनिवार को नए मंदिर में विराजमान हो गया है। मंदिर में अरुणोदय काल 3.30 बजे से पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई थी। जिसके बाद आदि शक्ति मां धारी देवी पुजारी न्यास द्वारा मां धारी देवी के ठीक ऊपर पिलरों पर बनाए गए नवनिर्मित मंदिर में प्रात: 8.10 बजे मां धारी देवी सहित भैरवनाथ और नंदी की प्रतिमाएं पुजारी न्यास द्वारा विधि-विधान के साथ स्थापित की गई। पौने दस बजे मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिया गया था। श्रीनगर जल विद्युत परियोजना निर्माण के कारण धारी देवी मंदिर डूब क्षेत्र में आ गया था। जिसके कारण परियोजना संचालन कर रही कंपनी की ओर से पिलर खड़े कर नए मंदिर का निर्माण कराया जा रहा था। 16 जून 2013 की केदारनाथ आपदा के कारण अलकनंदा का जल स्तर बढ़ने पर मंदिर में स्थापित प्रतिमांओं को अस्थायी मंदिर में अपलिफ्ट कर दिया गया। करीब 9 साल से यह सभी प्रतिमाएं अस्थायी मंदिर में स्थापित थीं। इन्हीं पिलरों पर धारी देवी मंदिर के मूल स्थान के ऊपर नए मंदिर का निर्माण किया गया है। लगभग चार साल पहले नदी तल से करीब 30 मीटर ऊपर पिलरों पर पर्वतीय शैली में आकर्षक मंदिर का निर्माण करा दिया गया था, लेकिन कंपनी और पुजारी न्यास में सहमति नहीं बन पाने से बार-बार प्रतिमाओं की शिफ्टिंग नहीं हो पा रही थी। जिसके बाद 28 जनवरी को मूर्तियों को नए मंदिर में शिफ्ट किए जाने की तिथि घोषित की गई। मूर्ति शिफ्ट करने से पहले 24 जनवरी से मंदिर में शतचंडी यज्ञ शुरू कर दिया गया था। मौके पर पुजारी रमेश चंद्र पांडेय, सचिदानंद पांडेय, जगदंबा प्रसाद पांडेय, आनन्द प्रकाश नौटियाल, वाणी विलास डिमरी, डॉ. हरिशंकर डिमरी, डॉ. नवीन पांडे, डॉ. प्रकाश चमोली, जितेंद्र डंगवाल, धनीराम डिमरी, सुशील डिमरी, सूरज पाण्डे, रजत पंत, प्रमोद पाण्डे, विभोर बहुगुणा आदि मौजूद रहे।