पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू पर नौ बीघा जमीन कब्जाने के आरोपों की हुई पुष्टिः रविन्द्र जुगरान
देहरादून
। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता एवं वरिष्ठ आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान ने कहा है कि अब राजस्व और न्याय की जांच में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू पर आरक्षित वन क्षेत्र वीरगिरवाली पुरानी मसूरी रोड राजपुर की लगभग नौ बीघा जमीन कब्जाने के लगे आरोपों की पुष्टि हो गई है। आज परेड ग्राउंड स्थित उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू पर मुकदमा दर्ज करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और वन मंत्री सुबोध उनियाल का आभार प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि एक अधिकारी पर मुकदमा दर्ज करने के लिए 10 वर्ष लग गये, और यह अधिकारियों की मिलीभगत का ही परिणाम है कि न्याय पालिका और कार्यपालिका की उदासीनता के चलते लंबा समय लग गया। वहीं कार्यवाही करने पर यह एक चिंताजनक विषय है। और अब 10 वर्ष बाद कार्यवाही होना अपने आप में एक सफलता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य सरकार ने प्रशंसनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि आज राजस्व व न्याय की जांच में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू पर आरोपों की पुष्टि होते हुए उन समेत आठ पर मुकदमा दर्ज हो गया है। उन्होंने एक रक्षक भक्षक बनकर उत्तराखंड को लूटने का आरोप लगाया है, कहा कि उनकी ठीक प्रकार से डीपीसी भी नहीं हुई, इसमें भी कुछ अधिकारी उनके पक्ष के रहे, जिसके कारण उन्हें डीजीपी के पद पर तैनाती दे दी गई। और जब वह डीजीपी बने तो राज्य को लूटने का काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि तथाकथित फर्जी नत्थूराम से जानबूझ कर और सोच समझकर भू माफियाओं की तरह बैनामा करा लिया था, जबकि नत्थूराम वर्ष 1983 में मर चुका था और उक्त संदर्भित भूमि को एक मई 1970 के गजट नोटिफिकेशन के आधार पर तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर दिया था, जो तभी से वन विभाग के कब्जे में थी। और पांच जुलाई 2012 को तथाकथित फर्जी नत्थूराम ने मेरठ के रहमुददीन आदि के विरूद्ध कूटरचित अभिलेखों के आधार पर इसी संदर्भित भूमि को कब्जाने का एक मुकदमा लिखाने से विवादित हुई जमीन को तथा एग्रीमेंट की एक शर्त की डिर्माकेशन के बाद बैनामा कराया जायेगा। लेकिन डिर्माकेशन की कार्यवाही के प्रतिवेदन को छह अक्टूबर 2012 को एसडीएम सदर देहरादून के द्वारा निरस्त किये जाने के बावजूद फिर से बीएस सिद्धू ने जोर जबरदस्ती पर उतारू होकर भूमाफियाओं की तरह तथाकथित मृतक नत्थूराम से 20 नवम्बर 2012 को उक्त जमीन का बैनामा अपने नाम करा लिया था। उन्होंने कहा कि पूर्व डीजीपी सिद्धू इतने पर ही नहीं रूके और मार्च 2013 में संदर्भित भूमि से दो बार में पहले चार फिर 21 साल प्रजाति के कुल 25 पेड़ों का अवैध पातन की कराया और आरक्षित वन क्षेत्र की भूमि का अपने नाम पर तत्कालीन अपर तहसीलदार सदर देहरादून से दाखिल खारिज भी दबाव बनाकर अपने पक्ष में करा लिया था। जबकि मृतक नत्थूराम के वारिसान व क्षेत्रीय लेखपाल ने दाखिल खारिज न करने के लिए अपनी अपने आपत्तियां भी दर्ज कराई थी। और बाद में सिद्धू का दाखिल खारिज निरस्त हो गया था तथा भूमि वन विभाग के नाम दर्ज हो गई थी। उन्होंने कहा कि तत्कालीन अपर तहसीलदार सदर देहरादून को वर्ष 2021 में सेवानिवृत्त होने के पश्चात राजस्व परिषद उत्तराखंड के अध्यक्ष द्वारा इस भ्रष्ट आचरण के लिए मिलने वाली पारिवारिक पेंशन में से दो प्रतिशत प्रतिमाह की कटौती किये जाने के आदेश से दंडित भी किया है। इस अवसर पर वार्ता में भाजपा नेता राजीव तलवार, निर्विकार सिंह आदि शामिल रहे।