उत्तराखण्ड

खटीमा गोलीकांड के शहीदों को दी श्रद्धांजलि

अल्मोड़ा।

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने 1 सितंबर 1994 को खटीमा में शहीद राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने 22 वर्ष बाद भी शहीदों के सपनों के अनुरूप राज्य के विकास की दिशा दशा तय न हो पाने के लिए भाजपा और कांग्रेस को जिम्मेदार बताया। साथ ही लंबित मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन किया और राज्यपाल को ज्ञापन भेजा। गुरुवार को गांधी पार्क में आयोजित कार्यक्रम में राज्य आंदोलनकारियों ने शहीदों के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। वक्ताओं ने कहा राज्य के विकास की बात तो दूर 22वर्ष में राज्य की स्थाई राजधानी तक तय नहीं हो पाई है। सत्ता में बैठे लोग विकास के धन की बंदरबांट तो कर ही रहे थे। वहीं, नौकरियां भी अंधे की रेवड़ी की तरह बांट रहे हैं। इस दौरान उन्होंने सरकारी नियुक्तियों की सीबीआई और न्यायिक जांच की मांग की। इसके अलावा आपातकाल में जेल में बंद रहे लोकतंत्र के सेनानियों की ही भांति राज्य आंदोलनकारियों को भी राज्य सेनानी घोषित करते हुए 17 हजार रुपये मासिक पेंशन देने, शहीदों, राज्य आंदोलनकारियों और जनभावनाओं के अनुरूप गैरसैंण भराड़ीसैंण में जल्द राज्य की स्थाई राजधानी स्थापित करने, क्षैतिज आरक्षण बहाल करने, मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप आश्रितों को जल्द पेंशन का लाभ देने, वंचित राज्य आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण करने, राज्य आंदोलनकारियों को दी जा रही सुविधाओं को औपचारिक के स्थान पर व्यवहारिक बनाए जाने, एक से अधिक राज्य आंदोलनकारियों के निवास वाले राज्य आंदोलनकारी गांव घोषित करने की मांग की।
ये रहे मौजूद: ब्रह्मानंद डालाकोटी, महेश परिहार, शिवराज बनौला, दौलत सिंह बगड़वाल, गोपाल सिंह बनौला, गिरीश गोस्वामी, दिनेश जोशी, रवींद्र बिष्ट,जीवन सिंह, देवनाथ गोस्वामी, बसंत जोशी, दुर्गा दत्त भट्ट, हेम जोशी, महेश पांडे, पूरन चंद्र जोशी, कुंदन सिंह, अर्जुन सिंह, पूरन सिंह, पान सिंह, ताराराम, कैलाश राम आदि मौजूद रहे।