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चीन ने जहाज विवाद पर कहा- बाहरी अवरोध श्रीलंका की संप्रभुता में हस्तक्षेप

कोलंबो

भारत पर परोक्ष निशाना साधते हुए चीन ने कहा कि बिना किसी साक्ष्य के तथाकथित सुरक्षा चिंताओं पर आधारित बाहरी अवरोध श्रीलंका की संप्रभुता और स्वतंत्रता में पूरी तरह हस्तक्षेप है। चीन के बैलिस्टिक मिसाइल और उपग्रह निगरानी पोत युआन वांग 5 के हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डालने पर भारत की आपत्ति की ओर इशारा करते हुए श्रीलंका में चीन के राजदूत की झेनहोंग ने कहा कि चीन इस बात से खुश है कि मामला निपट गया है और बीजिंग तथा कोलंबो संयुक्त रूप से एक दूसरे की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा करते हैं। बयान में सीधे तौर पर भारत का नाम नहीं लिया गया है लेकिन कहा गया ‎कि कुछ ताकतों की ओर से बिना प्रमाण के तथाकथित सुरक्षा चिंताओं पर आधारित बाहरी अवरोध वस्तुतरू श्रीलंका की संप्रभुता और स्वतंत्रता में पूरी तरह हस्तक्षेप हैं। भारत ने चीन के इन आक्षेपों को खारिज कर दिया था कि नई दिल्ली ने कोलंबो पर दबाव बनाया था कि चीन के एक अनुसंधान पोत को श्रीलंकाई बंदरगाह हंबनटोटा नहीं आने दिया जाए, लेकिन भारत ने कहा था कि वह अपनी सुरक्षा चिंताओं के आधार पर फैसले लेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 12 अगस्त को नई दिल्ली में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा था ‎कि हम बयान में भारत के बारे मेंआक्षेपों को खारिज करते हैं। श्रीलंका एक संप्रभु देश है और अपने स्वतंत्र निर्णय लेता है। जहां तक भारत-श्रीलंका संबंधों का सवाल है, आपको मालूम है कि हमारी पड़ोस प्रथम नीति के केंद्र में श्रीलंका है। गौरतलब है कि चीन के बैलिस्टिक मिसाइल एवं उपग्रह निगरानी पोत युआन वांग 5 को 11 अगस्त को हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचना था लेकिन भारत की सुरक्षा चिंताओं के बाद श्रीलंकाई अधिकारियों की अनुमति नहीं मिलने के कारण इसके पहुंचने में देरी हुई। चीनी पोत 16 अगस्त को हंबनटोटा पहुंचा था और ईंधन भरने के लिए वहां खड़ा रहा। श्रीलंका ने जहाज को 16 अगस्त से 22 अगस्त तक बंदरगाह पर रहने की अनुमति इस शर्त के साथ दी थी कि वह श्रीलंका के विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्वचालित पहचान प्रणाली चालू रखेगा और श्रीलंकाई जलक्षेत्र में कोई वैज्ञानिक अनुसंधान नहीं किया जाएगा। नई दिल्ली में इस बात की आशंका जताई गई थी कि चीन के जहाज की निगरानी प्रणाली श्रीलंकाई बंदरगाह जाने के मार्ग में भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों की जासूसी की कोशिश कर सकती है।
चीनी राजदूत ने कहा कि घटना का उचित तरीके से समाधान हो गया है जिससे न केवल श्रीलंका की संप्रभुता और स्वतंत्रता का संरक्षण हुआ बल्कि एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय निष्पक्षता और न्याय की रक्षा हुई। की ने कहा, चीन और श्रीलंका के बीच कूटनीतिक संबंध 65 साल पहले स्थापित हुए थे और तब से दोनों महत्वपूर्ण हितों और प्रमुख चिंताओं के विषयों पर परस्पर एक दूसरे को समझ रहे हैं, उनका सम्मान कर रहे हैं और समर्थन कर रहे हैं।