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भक्त जिस रूप में पुकारता है प्रभु उसी रूप में चले आते हैं: राजगुरू स्वामी संतोषानंद

हरिद्वार

भारत माता पुरम स्थित एकादश रूद्र पीठ में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा का महत्व समझाते हुए महामंडलेश्वर जगतगुरु स्वामी संतोषानंद महाराज ने कहा कि भगवान जब मात्र तीन दिन के ही थे तो पूतना उन्हें मारने के लिए गोकुल गई थी। स्तन में विष लगाकर प्रभु को विषपान कराना चाहती थी। प्रभु कितने दयालु हैं जो पूतना उन्हें मारने के लिए गई थी प्रभु ने उसे अधोगति नहीं परमगति प्रदान किया। अपने निज धाम में उसको स्थान दिया। इसलिए कहा गया है कि प्रभु से दयालु कोई नहीं हो सकता है। वे अपने दुश्मन को भी परमगति प्रदान करते हैं। गर्गाचार्य ने प्रभु का नामकरण संस्कार किया था। जीवों को अपनी और आकृष्ट करने के कारण उनका नाम कृष्ण रखा गया। उनका नाम केशव भी रखा गया गया। जिनका शासन एवं प्रशासन ब्रह्मा एवं शंकर पर चले उन्हें केशव कहा जाता है। सभी प्राणी इधर-उधर लोभ लालच में फंसकर अपने सनातन धर्म को छोड़कर विधर्मियों के पीछे भाग रहे हैं। उन्होंने कहा कि भक्त प्रभु को जिस रूप में पुकारता है। प्रभु उसी रूप में चले आते हैं। भगवान राम एवं कृष्ण में इतना ही अंतर है कि एक की लीला अनुकरणीय है तो दूसरे की लीला चितनीय है। भगवान राम ने जो लीला की उसका सभी को अनुकरण करना चाहिए। वहीं श्रीकृष्ण की लीला चितनीय है। प्रभु निर्गुण एवं निराकार हैं। भक्त इन्हें रूप देता है और वे उस रूप में सगुण साकार बनकर भक्तों के कार्य करते हैं, उनका उद्धार करते हैं। भक्तों के चरण रज लेने के लिए ही भगवान का अवतार होता है। राजगुरु स्वामी संतोषानंद महाराज ने कहा कि भागवत कथा सुनने मात्र से मानव जीवन के समस्त पापों का नाश हो जाता है। कथा का श्रवण करने ने मनुष्य का ज्ञान बढ़ता है। महामंडलेश्वर राजगुरु स्वामी संतोष आनंद महाराज ने कहा कि वेद धर्म शास्त्र का मूल है और श्रीमद् भागवत के रसपान से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। कलयुग में मोक्ष प्राप्ति का श्रीमद्भागवत से बड़ा कोई साधन नहीं है। क्योंकि कलयुग में ज्ञान और वैराग्य दोनों मूर्छित हैं। इनकी मूर्छा ब्रह्म ऋषि नारद के स्पर्श करने, इन्हें वेद पाठ, गीता पाठ श्रवण कराने तथा जाप और अनुष्ठान से भी दूर नहीं हो सकती। किंतु श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से यह तरुण हो जाते हैं। इसलिए श्रीमद्भागवत कथा सभी के लिए कल्याणकारी है। प्रत्येक व्यक्ति को समय निकालकर कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कृष्ण भक्ति का यह आगार है। साथ ही कुछ दार्शनिक विचारों की भी इसमें प्रचुरता है जो व्यक्ति का जीवन भवसागर से पार लगाती है। इस अवसर पर युवराज वर्मा, पंकज भाटी, कविता राज डंडोतिया, आशा देवी, राधेश्याम शर्मा, हरिमोहन शर्मा, सतीश पाराशर, राम लखन शर्मा, संतराम भट्ट, रविंद्र भट्ट, आनंद सिंह तोमर, सुरेंद्र अग्रवाल, जगतगुरु आनंदेश्वर महाराज, सुरेंद्र शर्मा, धर्मेंद्र शर्मा, प्रदीप कुमार, अनुपमा सिंह डंडोतिया सहित कई श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।