जगतगुरु आदि शंकराचार्य के कालजयी योगदान से सभी छात्र-छात्राओं को होना चाहिए रूबरू : आर भट्ट
धनौरी
शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ.आनंद भारद्वाज ने कहा कि भारतीय संस्कृति में विद्वता को हमेशा सम्मान मिला है। श्री आदि शंकराचार्य ने उच्च नीच के भेदभाव को मिटाने का काम किया है।
शुक्रवार को शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार की भारतीय भाषा समिति के सहयोग से हरिओम सरस्वती पीजी कॉलेज धनौरी में जगद्गुरु श्री आदि शंकराचार्य के दर्शन में भारतीय एकात्मता एवं भाषाएं विषय पर विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता के तौर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ.आनंद भारद्वाज ने कहा कि जगद्गुरु श्री आदि शंकराचार्य भारतीय संस्कृति और परंपरा के संवाहक रहे हैं उन्होंने सनातन धर्म की ध्वजा को हमेशा ऊंचा रखा है। श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय टिहरी के कुलसचिव के आर भट्ट ने कहा कि जगतगुरु आदि शंकराचार्य के कालजयी योगदान से सभी छात्र-छात्राओं को रूबरू होना चाहिए। बाल कल्याण समिति हरिद्वार के अध्यक्ष अंजना सैनी ने कहा कि भारतीय संस्कृति पूरे विश्व में श्रेष्ठ है।इसका पूरा श्रेय श्री आदि शंकराचार्य जैसे महापुरुषों को जाता है। योगाचार्य डॉ. अंकित सैनी ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार की ओर से जगतगुरु शंकराचार्य के दर्शन के बारे में लोगों को रूबरू कराने के लिए व्याख्यान माला के तौर पर सराहनीय पहल की गई है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही महाविद्यालय प्रबंध समिति की अध्यक्ष सुमन देवी ने कहा कि भारतीय संस्कृति के मूल सिद्धांतों में महिला सम्मान सबसे ऊपर रहा है।इसलिए भारत में महिलाओं को पूजनीय माना गया है। प्राचार्य डॉ. आदित्य गौतम ने कहा कि ज्ञान परंपरा में आदि शंकराचार्य का सर्वोच्च स्थान है।
संचालन कर रहे कार्यक्रम समन्वयक डॉ योगेश कुमार ने रूपरेखा प्रस्तुत की और कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया। इससे पहले महाविद्यालय की प्राध्यापिका डॉ. ज्योति जोशी, डॉ ऐश्वर्य सिंह, डॉ. निशा चौहान, डॉ अंजु शर्मा, डॉ मीना नेगी, डॉ राहुल देव, डॉक्टर समीर मिश्रा, डॉक्टर दीपमाला कौशिक आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर डॉक्टर सरिता चंद्र,डॉक्टर सुरभि सागर, डॉक्टर जागृति त्यागी, डॉक्टर अमित कुमार, डॉक्टर अजय परमार, डॉक्टर निशा रानी, डॉक्टर अंजु अस्तवाल, डॉ मोनिका चौधरी, डॉक्टर रिमझिम, डॉक्टर प्रिया सैनी ,डॉक्टर साक्षी शर्मा आदि उपस्थित रहे।