परमार्थ निकेतन आये फिल्म अभिनेता विजय राज़, परमार्थ गंगा आरती में किया सहभाग
ऋषिकेश
परमार्थ निकेतन में फिल्म अभिनेता विजय राज जी आये, उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया।
फिल्म अभिनेता विजय राज जी ने परमार्थ गंगा आरती में सहभाग किया। स्वामी जी ने उन्हें हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा आशीर्वाद स्वरूप भेंट किया। स्वामी जी ने उन्हें हरित संदेश प्रसारित करने वाली फिल्मों के निर्माण हेतु प्रेरित किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत के पास एक समृद्ध प्राकृतिक धरोहर है और वनस्पतियों का विलक्षण भंडार है इसलिये तो भारत की धरती पर हमारे ऋषियों ने आयुर्वेद को जन्म दिया। भारत के लिये प्रकृति एक अद्वितीय विरासत है जिनका संरक्षण कर हम समाज के दीर्घकालिक हितों को पूरा कर सकते है।
स्वामी जी ने कहा कि भारत की संस्कृति सहिष्णु है और उसका श्रेय प्रकृति को जाता है। अतीत में भारतीय समाज ने प्रत्येक संस्कृति व प्रकृति को समृद्ध होने का अवसर दिया है, जो विविध धरोहर में परिलक्षित हो रहा है परन्तु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन हमारी समृद्ध प्रकृति को नष्ट कर रहा है।
स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक मुद्दे के रूप में उभर कर आया है। जलवायु परिवर्तन कोई एक देश या राष्ट्र से संबंधित अवधारणा नहीं है अपितु यह एक वैश्विक अवधारणा है जो सम्पूर्ण धरा के लिए चिंता का कारण बनती जा रही है। जलवायु परिवर्तन से भारत सहित पूरी दुनिया में बाढ़, सूखा, कृषि संकट एवं खाद्य सुरक्षा, बीमारियाँ, प्रवासन आदि का खतरा बढ़ता जा रहा है।
स्वामी जी ने कहा कि प्राचीनकाल से ही हम प्रकृति का उपासक रहे हैं, अतीत पर दृष्टि डाले तो तब प्रकृति के दोहन का भाव नहीं था और जीवन पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर था; प्रकृति की पूजा करने के साथ उसकी श्रेष्ठता का भाव था परन्तु वर्तमान समय में प्रदूषण के कारण प्रकृति, पर्यावरण सहित प्रत्येक जीव अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है क्योंकि सब एक दूसरे पर निर्भर हैं।
बढ़ती जनसंख्या धरती के संसाधनों पर बोझ बन गई है। इतनी विशाल जनसंख्या के लिए संसाधन उपलब्ध कराना पृथ्वी के लिए संभव नहीं है। हम वर्ष भर में पृथ्वी के संसाधनों का जिस तरह से उपभोग कर रहे हैं उनके पुनर्निर्माण के लिए लगभग डेढ़ वर्ष चाहिए होंगे। जब मनुष्य द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के उपभोग की मात्रा प्रकृति द्वारा उस वर्ष इन संसाधनों को पुनः उत्पादित करने की क्षमता से अधिक हो जाती है। भारत का एक बड़ा तबका लगभग 60 प्रतिशत आबादी आज भी कृषि पर निर्भर है। जलवायु की बदलती परिस्थितियां कृषि को सबसे अधिक प्रभावित कर रही हैं इसलिये जरूरी है भारत की जीवनरेखा और जीविका दोनों को सुरक्षित रखने के लिये अपने-अपने स्तर पर कार्य करना होगा और फिल्में के माध्यम से प्रकृति संरक्षण के संदेश को और प्रभावी बनाया जा सकता है। अब भी समय है हम अपने-अपने स्तर पर सहयोग कर अपने नेचर, कल्चर और फ्यूचर के संरक्षण हेतु आये मिलकर कार्य करे। स्वामी जी ने सभी को प्रकृति, पर्यावरण व जल संरक्षण का संकल्प कराया।