उत्तर प्रदेश

डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के अधिकारियों ने टाइगर रिजर्व के स्टाफ को तकनीकी जानकारी दी

नितिन कौशिक

अफजलगढ़:राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के निर्देश पर अमानगढ़ टाइगर रिजर्व रेंज मे आल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन के तीसरे चरण की बाघ गणना के लिए डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के अधिकारियों ने एक दिवसीय कार्यशाला अमानगढ़ के गेस्ट हाउस पर आयोजित की गई। जिसमें वन्यजीव विशेषज्ञों द्वारा टाइगर रिजर्व के स्टाफ को तकनीकी जानकारी दी गई।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के द्वारा अखिल भारतीय बाघ आकलन का काम भारतीय वन्यजीव संस्थान के तकनीकी सहयोग, डब्ल्यू डब्ल्यू एफ(भारत) व टाइगर रिजर्व एरिया की टीम ने संयुक्त रूप से तीसरे चरण की बाघ गणना का काम का काम शुरू कर दिया। बाघो का गिनती शावकों को छोड़कर स्ट्राइप पैटर्न रिकाॅग्नाजर के साफ्टवेयर की मदद से की जायेगी। वर्ष 2012 में 95 किमी मे फैली अमानगढ़ रेंज को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। वर्ष 2012 में रेंज मे पहली बार बाघ गणना की गयी थी। रेंज मे चल रही तीसरे चरण की बाघ गणना के लिये 42 भागों में बांटा गया है। जिसमें 90 कैमरा ट्रैप्स की मदद से बाघों की गणना की जाएगी। बाघ गणना पूरी होने के बाद आख्या रूस के सेंट पीटर्सबर्ग समिट में भेजी जायेगी। जिसका अन्तराष्ट्रीय बाघ दिवस पर केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री द्वारा भारत में बाघों की आबादी के बारें जानकारी दी जायेंगी।
प्रशिक्षण शिविर मे डब्ल्यू एफ के अधिकारियों ने रेंज कर्मियों कैमरों के लगाने, कैमरे की देखभाल करने के बारे मे तकनीकी जानकारी दी। डा. मेराज अनवर ने बताया कि गत् वर्ष हुई बाघ गणना वाले स्थानो के अतिरिक्त भी कैमरे लगायें गयें है। रेंज के कोठीरो व लालढ़ाग मे 13, मकौनिया लालपुरी में 5, अमानगढ़ मे 7, झूलोखत्ता में 5, रानीनांगल में 1, जसपुर बीट में 4, केहरीपुर मे 4, झिरना में 4, पीलीडाॅम में 1 जोड़ी मोशन सेंसर कैमरा ट्रैप्स लगाये गयें हैं । लगभग चालीस दिनो के लिये लगाये गये कैमरों मे कैद हुआ वन्यजीवों का डाटा हर चार दिन बाद विभागीय अधिकारियों सहित राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली व भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून भेजा जायेंगा। कार्यशाला मे डा. मेराज अनवर ने बताया कि बाघ पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसके संरक्षण पर एक वर्ष मे लगभग दस से पन्द्रह लाख का खर्च आता है। इसलिए इनकी गणना के लिये लगाये गये कैमरों की निगरानी करना भी बेहद जरूरी है। इसके अलावा डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के परियोजना अधिकारी डा. शारिक शफी द्वारा रेंज के स्टाफ द्वारा की जाने वाली पेट्रोलिंग की पिछले चार महीनों की समीक्षा की। समीक्षा बैठक मे गश्त मे तेजी व सुधार लाने के बारे मे आवश्यक निर्देश दिए। साथ ही जाने वाली गश्त को अनलाइन करने के बारे मे तकनीकी जानकारी देते हुए वन क्षेत्र मे होने वाली हर छोटी बड़ी गतिविधियों को मॉनीटरिंग सिस्टम में दर्ज करने की जानकारी दी।कार्यशाला शिविर मे डब्ल्यू एफ के समन्वयक अधिकारी ( प्रजाति संरक्षण) डा. मेराज अनवर, परियोजना अधिकारी डा. शारिक शफी, जेडी गुप्ता, पूरन सिंह, जगजीवन धामी, सहित प्रभागीय वन निदेशक डा. अनिल कुमार पटेल,
रेंजर राकेश कुमार शर्मा, समस्त स्टाफ मौजूद रहा।

बढ़ता बाघों का कुनबा-
कार्बेट के बफर जोन अमानगढ़ मे पिछले आठ वर्षो मे दो गुना से ज्यादा हो गया है। अमानगढ़ मे वर्ष 2012 मे 9, 2014 में 12 व वर्ष 2018 मे 21 बाघ, वर्ष 2019 में 22, वर्ष 2020 में 27 बाघ थें। दो वर्ष पूर्व आपसी संघर्ष मे दो मादा बाघ की मौत हो गयी थी।