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चुनावों से तीन महीने पहले बीजेपी ने उम्मीदवारों को लेकर ‎किया मंथन

नई दिल्ली

भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने तीन महीने पहले से ही उम्मीदवारों को लेकर मंथन शुरु कर ‎‎दिया है। इसी को लेकर स‎मिति की ‎दिल्ली में एक बैठक हुई, जिसमें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों और भावी रणनीति पर चर्चा की गई। पार्टी मुख्यालय में हुई बैठक में दोनों राज्यों के नेताओं की ओर से जमीनी रिपोर्ट साझा की गई। बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह तथा अमित शाह सहित सीईसी के अन्य सदस्य मौजूद थे। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के अलावा दोनों राज्यों के संगठन से जुड़े कुछ प्रमुख नेता भी बैठक में शामिल हुए। यह पहला मौका है जब भाजपा ने किसी विधानसभा चुनाव से तीन महीने पहले ही उम्मीदवारों को लेकर केंद्रीय स्तर पर मंथन शुरू किया है। सूत्रों ने बताया कि बैठक में पार्टी ने उन सीटों पर ध्यान केंद्रित किया, जहां उसे एक मजबूत विपक्ष का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, पार्टी का मानना है कि मजबूत उम्मीदवारों के चयन सहित कुशल रणनीति के साथ बाजी अपने पक्ष में बदल सकती है।
‎मिली जानकारी के अनुसार इसी तरह की सीईसी बैठकें अन्य राज्यों के लिए भी आयोजित की जा सकती हैं। बैठक में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के प्रमुख नेताओं के साथ सीटों की स्थिति, श्रेणी और संभावित उम्मीदवार को लेकर विमर्श हुआ। दोनों राज्यों की सीटों को चार श्रेणियों में रखा गया है। सबसे पहले छत्तीसगढ़ के नेताओं के साथ बैठक हुई। सूत्रों के अनुसार, इसमें ए श्रेणी के तहत वैसी सीटें हैं, जिस पर भाजपा जीतती रही है। बी श्रेणी यानी वे सीटें जिन पर जीत-हार होती रहती है। सी श्रेणी में वे सीटें रखी गई हैं,जहां पार्टी लगातार दो बार हारी है। डी श्रेणी यानी जिन पर पार्टी उम्मीदवार कभी नहीं जीते। बैठक में छत्तीसगढ़ की बी,सी और डी श्रेणी की 27 सीटों को लेकर चर्चा की गई।
बता दें ‎कि छत्तीसगढ़ में सी श्रेणी में भाजपा की 22 सीटें आती हैं और डी श्रेणी यानी जिन पर कभी नहीं जीते, उसके तहत पांच सीटें आती हैं। 2018 के चुनावों में 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस ने 75.6 फीसदी वोट हासिल करते हुए कुल 68 सीटें जीती थीं। यह 2013 के मुकाबले 29 सीटें ज्यादा हैं। वहीं बीजेपी ने 34 सीट गंवाते हुए मात्र 15 पर जीत दर्ज की थी। बीजेपी को सिर्फ 16.7 फीसदी वोट ही मिले थे। जनता कांग्रेस पार्टी ने पांच और बहुजन समाज पार्टी ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी। बीजेपी के सीईसी की बैठक अमूमन चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद ही होती है लेकिन उससे पहले बैठक का आयोजन बताता है ‎कि पांच राज्यों के चुनाव भाजपा के लिए कितना महत्व रखते हैं।