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हिमालयी जल स्रोतों के प्रबंधन को मानक बनेगा

रुड़की

हिमालयी जल स्रोतों के प्रबंधन और पुनरुद्वार के लिए भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग मानक तैयार कर रहा है। एनआईएच में इसको लेकर हुई कार्यशाला में विशेषज्ञ जुटे। राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) में विभिन्न हिमालयी राज्यों से आए 40 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने इसको लेकर मंथन किया गया। पर्वतीय क्षेत्रों के जलस्रोतों पर काम कर रहे एनआईएच के वैज्ञानिक डॉ. एसएस रावत का कहना है कि इन जल स्रोतों को स्थानीय भाषा में धारे, नौले, नाडू, चश्मा, नाग, पनेरा आदि नाम से जाना जाता है। यह पांच करोड़ से भी ज्यादा आबादी की जीवन रेखा हैं। पिछले एक-दो दशक में तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन, अनियोजित निर्माण से इनके जल प्रवाह में काफी गिरावट देखने में आयी है। भारत सरकार का जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय इनके संरक्षण के लिए एक कार्यनीति बना रहा है। जिससे पर्वतीय राज्यों की विभिन्न कार्यदायी संस्थाएं इनके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठा सकें।