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बर्खास्त कार्मिकों ने सरकार व सरकार के मंत्रियों पर लगाया उनकी सुध न लेने का आरोप

देहरादून

विधानसभा के बर्खास्त कर्मचारियों का धरना 23वें दिन भी विधानसभा के पास जारी रहा। इस दौरान बर्खास्त कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बर्खास्त कार्मिकों को इस तरह विधानसभा के बाहर जमीन पर बैठकर अपने हक की लड़ाई लड रहे हैं आज तक सरकार व सरकार के मंत्रियों व उनके जन प्रतिनिधियों ने उनकी कोई सुध नहीं ली है। बर्खास्त कर्मचारियों ने कहा कि यह विधानसभा अध्यक्ष का आधा अधूरा न्याय है अगर उन्हें लगता है कि कुछ गलत हुआ है तो उन्हें पूरा न्याय करके इस मामले का पटाक्षेप करना चाहिए। उनका कहना है कि अभी तक किसी भी प्रकार का कोई निर्णय नहीं लिया गया है और उनके साथ पक्षपात किया गया है। इस अवसर पर बर्खास्त कर्मचारियों ने कहा कि सरकार की तरफ से कोई समाधान निकालने को लेकर अभी तक कोई पहल नहीं की गई है। कर्मचारियों के ऊपर मुकदमें दर्ज किये जा रहे है जो चिंता का विषय है। कर्मचारियों के धरने को तोड़ने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार बैठा है। विधानसभा सचिवालय की जितनी भी निंदा की जाये वह कम है। उन्हें इसकी कड़े शब्दों में निंदा की। इस अवसर पर बर्खास्त कार्मिकों ने कहा कि विधानसभा ने इन सभी तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए सभी कार्मिकों को बिना पूर्व सूचना के एक झटके में बर्खास्त कर दिया गया। इस अवसर पर बर्खास्त कर्मचारियों ने कहा कि किसी को बचाया जा रहा है और आखिर वह कौन से कर्मचारी हैं। इस अवसर पर बर्खास्त कर्मचारियों ने कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष ने माना है एवं डीके कोटिया कमेटी की रिपोर्ट में भी 2001 से 2021 तक विधानसभा में अवैध भर्ती हुई है तो यह सवाल लाजिमी है कि सिर्फ 2016 एवं उसके बाद नियुक्त कार्मिकों को ही क्यों हटाया गया है इसका जवाब देना होगा। उनका कहना है कि यह एक विचारणीय प्रश्न है और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण को जवाब देना होगा। उन्होंने कहा कि आंदोलन को लगातार जारी रखा जायेगा। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से न्याय की गुहार भी लगाई। इस अवसर पर समस्त बर्खास्त कर्मचारी उपस्थित रहे।