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राष्ट्र निर्माता के रूप में है शिक्षक की भूमिका

श्रीनगर गढ़वाल।

राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान(एनआईटी) उत्तराखंड श्रीनगर में प्रभावी शिक्षण, सीखने और नवाचार विषय पर संचालित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का समापन हो गया है। इस मौके पर शिक्षाविद प्रो. आईके भट वॉइस चांसलर मानव रचना यूनिवर्सिटी एवं पूर्व निदेशक एमएनआईटी जयपुर के साथ डॉ. गीता ठाकुर, प्रो. मानव रचना यूनिवर्सिटी ने विशेषज्ञ व्याख्यान दिए। तीन दिनों तक चले इस कार्यक्रम में प्रो. भट ने शिक्षक की भूमिका से लेकर शिक्षण तकनीक, सीखने की शैली, ब्लूम्स टैक्सोनॉमी, परिणाम आधारित शिक्षा, सहयोगी और सहकारी शिक्षा, परियोजना आधारित शिक्षा एवं पाठ्यक्रम विकास आदि जैसे प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की। इसके अलावा डॉ. गीता ठाकुर ने शिक्षा में मूल्यांकन के महत्व, मूल्यांकन के तरीकों और उससे पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जानकारी दी। एनआईटी के निदेशक एलपी अवस्थी ने कहा कि इस उन्मुखीकरण कार्यक्रम में हुए सभी विचार-विमर्शों का सार एक शिक्षक की भूमिका राष्ट्र निर्माता के रूप में बताई।
उन्होंने कहा यदि भारत को एक विकसित देश बनना है तो केवल शिक्षक ही है जो इस परिवर्तन को ला सकता है। इसके लिए उसे अपना शत प्रतिशत योगदान देने की आवश्यकता है। प्रो. करुणेश कुमार शुक्ल, निदेशक एनआईटी जमशेदपुर ने विशिष्ट आमंत्रित वक्ता के रूप में व्याख्यान दिया। कुलसचिव डॉ. धर्मेंद्र त्रिपाठी ने सभी का आभार व्यक्त किया। मौके पर डॉ. हरिहरन मुथुसामी, डॉ. जीएस बरार, डॉ. सनत अग्रवाल, डॉ. राकेश मिश्रा, डॉ. विकास कुकशाल, डॉ. अभिनव कुमार आदि मौजूद रहे।