उत्तराखण्ड

शास्त्रों के स्वाध्याय को जीवन-शैली का अंग बनाएं

हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल ने कहा कि जिस देश की शिक्षा व्यवस्था में भारतीय शास्त्रों का ज्ञान समाहित हो, जहां ज्ञान की परम्परा में वैज्ञानिक तकनीक के साथ स्वाध्याय का समावेश हो तो वहां के युवा का व्यक्तित्व समग्र रूप से विकसित होगा। उन्होंने आह्वान किया कि प्रतिदिन नियमित रूप से शास्त्रों के स्वाध्याय को अपनी जीवन-शैली का अभिन्न अंग बनाएं। प्रो. अग्रवाल बुधवार को विवि सभागार में त्रिदिवसीय शास्त्रीय कण्ठपाठ प्रतियोगिता के समापन अवसर को संबोधित कर रहे थे।
इस दौरान पतंजलि विवि की मानविकी व प्राच्य विद्या अध्ययन संकाय की अध्यक्षा डॉ. साध्वी देवप्रिया ने कहा कि पतंजलि विवि विश्व का एकमात्र ऐसा विवि है जहां के विद्यार्थी ज्ञान अर्जन के साथ प्रतिदिन योग, यज्ञ, शास्त्र स्मरण करते हैं तथा अनुशासित जीवन जीते हैं। प्रतियोगिता के दौरान विद्वानों ने प्रतिभागियों की अनेक प्रकार से शास्त्र-स्मरण सम्बंधी मौखिक परीक्षा ली, जिसमें छात्र-छात्राओं ने आश्चर्यजनक प्रदर्शन किया। विजेता प्रतिभागियों को आचार्य बालकृष्ण के जन्मोत्सव ‘जड़ी-बूटी दिवस- 04 अगस्त के अवसर पर स्वामी रामदेव की उपस्थिति में पुरस्कार राशि एवं प्रमाण-पत्र से सम्मानित किया जायेगा।
इस अवसर पर संस्कृत के महाकवि प्रो. मनोहर लाल आर्य, केन्द्रीय संस्कृत विवि देवप्रयाग के डॉ. विजय पाल प्रचेता सहित पतंजलि विवि के विभिन्न संकायों के अध्यक्ष, वरिष्ठ आचार्य, साध्वी देवसुमना, स्वामी परमार्थदेव, स्वामी आर्षदेव, स्वामी आदिदेव, स्वामी मित्रदेव आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन स्वामी ईशदेव द्वारा किया गया।
ये रहे अव्वल:  बीएनवाईएस की छात्रा दान, साध्वी देवशौर्या, स्वामी विरक्तदेव ने उपनिषद में प्रथम स्थान, साध्वी देवकान्ति, अंशिका एवं साध्वी देवसंस्कृति ने अष्टाध्यायी में प्रथम, साध्वी देवापर्णा, स्वामी कौशलदेव, स्वामी भवदेव ने द्वितीय, ब्रह्मचारी अशोक, ब्रह्मचारी आनन्द, साध्वी देवप्रभा, काशीराम एवं स्वामी प्रणदेव ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
श्रीमदभगवद्गीता में स्वामी अर्जुनदेव, साध्वी देवसंस्कृति एवं प्रेरणा ने द्वितीय, पंचोपदेश में ब्रह्मचारिणी योगिता, साध्वी देवस्मृति, ब्रह्मचारिणी रुक्मिणी ने द्वितीय स्थान, शब्दधातुरूप में ब्रह्मचारी तपोधन, ब्रह्मचारी लक्ष्मण ने द्वितीय, पंचदर्शन में रिचा ने तृतीय, निघंटु में स्वामी प्रकाशदेव ने प्रथम स्थान, त्रिदर्शन में साध्वी देवशिला ने द्वितीय स्थान, योगदर्शन में सृष्टि, अनिल, मनोज कुमार, ललिता, यशी, क्षमा, साध्वी देवसीमा, अक्षिता, प्रियंका, मुक्ता, साध्वी देवसंस्कृति, अनीता, ब्रह्मचारिणी सुभद्रा, स्वामी भवदेव, दीपक, नवीन, साध्वी देवराध्या, मुस्कान, अविकांत, दुर्गेश ने प्रथम स्थान, द्वितीय स्थान में सुमेधा, अर्चिता, सरस्वती, योगेश्वर, शीतल, वीर शर्मा, प्रतीक, साक्षी, साध्वी देवधैर्या, शिवा, सुमेधा, दुर्गा तथा तृतीय स्थान में रोहिना, स्वामी प्रसन्नदेव, ऋतुजा ने प्राप्त किया।