शीतकाल हेतु बंद हुए तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट
रुद्रप्रयाग
तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए सोमवार को अपराह्न 11.30 बजे बंद कर दिए गए हैं। इस मौके पर सैकड़ों भक्तों ने भोले के जयकारों के साथ डोली का स्वागत किया। इधर, बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि इस यात्रा वर्ष में तुंगनाथ मंदिर में कुल 26750 से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। सोमवार सुबह पांच बजे से मंदिर में कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई। जिसके बाद पुजारी अतुल मैठाणी द्वारा भगवान का दूध, जल, दही, शहद से अभिषेक किया गया। इसके बाद पूजा-अर्चना की गई। भगवान का श्रृंगार करने के बाद दस बजे मठापति रामप्रसाद मैठाणी द्वारा दान की प्रक्रिया संपन्न कराई गई। रविन्द्र मैठाणी, जयकृष्ण मैठाणी, मुकेश मैठाणी, चंद्रप्रकाश मैठाणी, मनोज मैठाणी द्वारा स्वयंभू शिवलिंग को फूल, मेवे, फल, अक्षत और भस्म से समाधि दी गई। जिसके बाद अपराह्न 11.30 बजे तुंगनाथ मंदिर के कपाट विधिविधान से शीतकाल के लिए बंद किए गए। कपाट बंद होते ही तुंगनाथ की चल विग्रह डोली ने अपने निशानों के साथ मंदिर की तीन परिक्रमा की। इसके बाद डोली ईशानेश्वर, भैरवनाथ व भूतनाथ मंदिर से होकर चोपता की ओर रवाना हुई। उत्सव डोली दोपहर ढाई बजे पहले पड़ाव चोपता में रात्रिविश्राम के लिए पहुंची। उत्सव डोली 8 नवंबर को चोपता से प्रस्थान कर रात्रिविश्राम के लिए भनकुन पहुंचेगी। 9 नवंबर को यहां से रवाना होकर शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ पहुंचेगी। जहां पर छह माह तक शीतकाल में भगवान की पूजा अर्चना होगी। वहीं कपाट बंद होने के अवसर पर श्रद्धालुओं भोले के भजनों पर मन्दिर परिसर में झूमते रहे। साथ ही स्थानीय महिलाओं ने मांगल गीतों के साथ डोली को धाम से विदा किया। इस मौके पर बीकेटीसी सदस्य श्रीनिवास पोस्ती, सीईओ योगेंद्र सिंह, ईओ आरसी तिवारी, मठापति राम प्रसाद मैठाणी, प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, पुजारी गंगाधर लिंग, व्यापार मंडल अध्यक्ष भूपेंद्र मैठाणी, प्रबन्धक बलबीर नेगी, प्रकाश पुरोहित, कुशाल नेगी, प्रेम सिंह राणा, भगवती प्रसाद, प्रकाश गुसाईं, चंद्रमोहन सिंह, चंद्रमोहन बजवाल, पुजारी अतुल मैठाणी, रवीन्द्र मैठाणी, अजय मैठाणी आदि मौजूद थे।